*औरत के लिए हज का हुक्म*
⭕आज का सवाल नंबर.१०६१⭕
औरत को हज के सफर के बारे में क्या हुक्म है..?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
औरत के लिए बगैर महरम के सफर करना शरअन जाइज़ नहीं है, इस लिए वो हज पर क़ादिर उस वक़्त समझी जाएगी जब के उसके साथ कोई महरम हज करने वाला हो. चाहे महरम अपने खर्च से हज कर रहा हो या यह औरत उसका खर्च बर्दाश्त करे, इसी तरह वहां पहुँचने के लिए रास्ता अमन वाला होना भी ताक़त का एक हिस्सा है, अगर रास्ता में बाद-अमनी, जान-माल का क़वी [पक्का] खतरा हो तो हज की ताक़त नहीं समझी जाएगी.
📚मारीफुल क़ुरान-२/१२२ से मअख़ूज़
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
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