*मंगनी के बाद मंगेतर से बात-चित*
⭕आज का सवाल न. ११६७⭕
शादी से पहले मंगेतर से बात करना मश्ग करना जो के बोहत आम है और लोग बडे फ़क़्र से बात करते है, शरीयत में यह केसा है ?
🔵अल-जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
निस्बत और मंगनी हो चुकने के बाद भी जब तक निकाह नहीं हुवा हो वो लड़की अपने मंगेतर लड़के के हक़ में अजनबिय्यह हे और अजनबी औरत का जो हुकम हे वही उस मंगेतर लड़की पर जारी होगा खत किताबत (मेसेज चैटिंग) चाहे नसीहत पर मुश्तमिल हो फितना और इसतील्ज़ाज़ (लज़्ज़त हासिल करना) से खाली नहीं हे और फुक़हा ने मर्द के हक़ में औरत (अजनबिय्यह) के झूठे और औरत के हक़ में मर्द के झूठे को मकरूह लिखा हे.
(दुर्रे मुख़्तार)
मंगेतर और मखटूबा को देखने की शरीअत ने जो इजाज़त दी हे वो भी ज़रूरत की वजह से ख़िलाफ़े क़ियास हे, जो अपनी हद तक महदूद हे, इसीलिए अगर एक मर्तबा देख चूका हे तो दूसरी मर्तबा हराम हे.
(وتقييد الاستثناء بما كان لحاجة
انه لو اكتفى بالنظر اليها بمرة حرم الزائد، لانه ابيح لضرورة فيتقيد بها. شامي: ٥ /٢٦٢ )
अगर ताल्लुक़ न रखने से किसी क़िस्म का अंदेशा हो तब भी ममनूअ शरई का इर्तिक़ाब जाइज़ क़रार नहीं दिया जा सकता, उसका आसान इलाज ये हे के अक़्दे निकाह कर लिया जाये चाहे रुखसती न हो, इस सूरत में इख़्तियार भी लड़के के हाथ में रहेगा और खत किताबत चैटिंग कालिंग वगेरा भी जाइज़; बल्कि मुस्तहसन (बहोत अच्छा) हो जावेगी.
फ़क़त वल्लाहुआलम
📚(महमूद उल फतवा: ४ /७५४ ७५५)
🖊मुफ़्ती सिराज सीडट साहब चिखली नवसारी गुजरात
و الله اعلم بالصواب
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