*सफर महीना मनहूस है ?*
⭕आज का सवाल न.१२६०⭕
सफर का महीना शुरू हो चूका है. आप सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम का इरशाद है के सफर के महीने में सारी आफ़ते और मुसीबते ज़मीन पर उतरती है इस लिए इन सब से हिफाज़त के लिए हर नमाज़ के बाद ११ मर्तबा *या बासितु* *या हाफिज़ू* का विरद करे.
👆🏻क्या ऊपरवाली बात सहीह है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
इस्लाम में कोई महीना दिन कोई घडी मनहूस नहीं और किसी आफत का नाज़िल होना किसी महीने के साथ खास नहीं, ऐसा अक़ीदह इस्लामी अक़ीदह नहीं. ऐसा अपशुगुन और बद फाली जाहिल लोग क़ौम लेती है, इस्लाम में इस की इजाज़त नहीं.
ऊपर जो हदीस पेश की गई है वह मव्जूआ-मनघडत है, बल्कि हदीस में साफ़ वारिद है सफर का महीन मनहूस नहीं.
📕बुखारी शरीफ हदीस न. ५७०७
लिहाज़ा गलत अक़ीदह के साथ किसी खास विरद का एहतमाम भी दुरुस्त नहीं.
📗अगलातुल अवाम सफा ३७ से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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