*हाजियों का इस्तेकबाल करना और हाजी की मुलाक़ात*
⭕आज का सवाल न. ११४१⭕
🅰 हज करके आने वाले हाजियों के रिश्तेदार दोस्त एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन पर बड़ी ता'दाद में लेने जाते है, हाजी के बाहर आते ही उसे फूलों से लाड देते है, उनसे गले मिलते है, हाजी साहिब भी हार पहने हुवे एक सजी सजाई गाडी में दूल्हे की तरह बेठ जाते है, गलियों और मोहल्लों और घर को भी खूब सजाया जाता है, जगह जगह हज मुबारक के तख्ते लगाए जाते है, बाज़ लोग तो मुख्तलिफ नारे भी लगाते है.
मालुम ये करना है के इन सब बातों की शरई हैसियत क्या है ?
क्या इस तरह इखलास बरक़रार रहेगा ?
🅱 हाजी की मुलाक़ात कैसे करे ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
🅰 हाजियों का इस्तेकबाल अच्छी बात है, लेकिन ये फूल नारे वगैरह घुड़दौड़ [शरीयत की हद] से तजावुज़ [आगे बढ़ना] है, अगर हाजी साहिब को दिल में ऊजब [अपने को अच्छा या कुछ समझना] पैदा हो जाये तो हज जाए’ [बर्बाद] हो जायेगा, इस लिए इन चीज़ों से ऐहतराज़ करना [बचना] चाहिए.
📚आप के मसाइल और उनका हल जिल्द-४ सफा १६१.
🅱 हुज़ूर अक़दस ﷺ का इरशाद है के जब किसी हाजी से मुलाक़ात हो तो उसको सलाम करो, और उससे मुसाफह करो, और इससे पहले के वो अपने घर में दाखिल हो अपने लिए दुआ ऐ मगफिरत की उससे दरखास्त करो, के वह अपने गुनाहों से पाक साफ़ होकर आया है.
📚मुसनदे अहमद मिश्क़ात
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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