*अल्लाह की सिफ़त*
⭕आज का सवाल न. ११५४⭕
क़ुरान और हदीस में आता है के अल्लाह का हाथ चेहरा पैर वगैरह तो अल्लाह ताला के इंसान की तरह ये आ'जा होने का क्या मतलब है ? अल्लाह ताला की ज़ात तो इंसान जैसी नहीं है.
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
अल्लाह ता’अला जिस्म (जैसे हाथ चेहरा , पिंडलियाँ और उँगलियाँ) वगैरह आ'जा और इंसानी हरकत जो जिस्म में पायी ही जाती है जैसे (खाने पीने तेज़ उतरना चढ़ना और बैठने वगैरह) से भी पाक हैं,
क़ुरान व हदीस में जहाँ अल्लाह ता’अला की तरफ आ'जा (जिस्म) या मख्लूक़ की सिफ़ात आदत की निस्बत है वहां ज़ाहिरी मा’ना बिल इत्तेफ़ाक़ सब के नज़दीक मुराद नहीं हैं, बल्कि वो *अल्लाह* ता’अला की बा’आज सिफ़ात की ता’अबीर महावराह हैं,
फिर *मुतक़द्दिमें* (यानि पुराने उलमा सलफे सलिहीन) के नज़दीक वो सिफ़ात *मुताशबीहाट* (यानी ऐसी बातें जिन का हक़ीक़ी मतलब समझ में न आये उन) में से हैं, उन की हकीकत और मुराद को सिवाए *अल्लाह* ता’अला के कोई नहीं जानता, जबकि *मुतअख़्ख़ेरीन* (यानि 5 वी सदी के बाद के उलमा) के नज़दीक उनकी हकीकत व मुराद दर्जा ए ज़न गुमान में मालूम है;
जैसे यदुल्लाह अल्लाह का हाथ से मुराद क़ुदरत ए बारी ता’अला और उतरने से मुराद रेहमत का मुतवज्जेह होना.चेहरे मुराद पूरी ज़ात वगैरह
📗अक़ाइद अहले सुन्नत वाल जमात-पेज-११
*नोट* यद् का मा’ना हाथ होता है चूंकि अल्लाह हाथ पैर से पाक है इसीलिए इससे मुराद क़ुदरत ए बा’री ता’अला है.चेहरे से मुराद अल्लाह की पूरी ज़ात है वगैरह
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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