*वोटिंग की शरई हैसियत-
सही उम्मीदवार ना हो तो*
आज का सवाल न०1166
वोट देने की शरई हैसियत क्या है??
बासलाहियात और ईमानदार उम्मीदवार ना हो तो वोट देना चाहिये या नहीं,??
जवाब :-
हज़रात मुफ़्ती मुहमद शफी रहमतुल्लाह अलैहि लिखते है जिस का खुलासा है कि वोट की शरई हैसियत 3 है,
1- वकालत :- जिस उम्मीदवार को हम वोट दे रहे हैं हम उसे अपना वकील नायाब बना रहे हैं ,की फलां हमारे ज़रूरत और खिदमत,
आप हमारे जानिब से अंजाम दे देना,
2- शहादत:- हम इस बात की गवाही देते हैं कि फलां शख्स फलां ओहदे और मनसब के लायक है और खिदमत की सलाहियत रखने वाला और अमानतदार है,
3- सिफारिश:- अपने बड़े हाकिम गवर्नर को ये दरखास्त करने के इस शख्श को फलां ओहदा ओर मनसब दे दिया जाये तो बेहतर होगा,,
लिहाज़ा जो उम्मीदवार दुसरे उम्मीदवारों के मुकाबले इन हैसियतों की ऐहलियात- सलाहियत रखता हो उस को वोट देना वाजिब है,
ऐसे उम्मीदवार जिसमे ओहदे की ऐहलियात और सलाहियत दूसरों के मुकाबले में न हो या कम हो उस को सिर्फ रिश्तेदारी दोस्ती, क़ौमियात,सर्फ अपना या बस्तीवालों के नफे की बुनियाद पर वोट देना गुनाह है पूरे मुल्क का नफा नुकसान सामने रख कर वोट देना चाहिए
और वोट ही ना देना गवाही छुपाने के जैसा है,
और अगर ज़ालिम हाकिम मुसल्लत हो गया तो ये ना देने वाले गैर लायक़ को देने वाले भी उस के जीताने में शरीक शुमार होंगे,उसके गुनाह और ज़ुल्म का वबाल उन पर भी होगा,
लिहाज़ा हर मुसलमान मर्द और औरत को सहीह उम्मीदवार ना हो तो भी अपना नुकसान काम करने की निय्यत से भी वोट देना शरअन ज़रूरी है,
नोट:-जवाहिरुल फ़िक़ह से माखूज़
Mufti imran ismail memon sahab
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