*शशा ईद के रोज़े की फ़ज़ीलत*
⭕आज का सवाल नम्बर १३८९
⭕
शशा ईद के रोज़े की फ़ज़ीलत सहीह हदीस से क्या साबित है?
🔵जवाब🔵
حامد و مصلیا و مسلما
इन रोज़ों की फ़ज़ीलत के बारे में हुज़ुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: *जिस ने रमजान के रोज़े रखे और फिर ईद के बाद छे (६) रोज़े रखे तो उसने गोया हमेशा* (पूरी ज़िन्दगी) *के रोज़े रखे* (हर साल की पाबन्दी हो तो)
📚तिर्मिज़ी शरीफ
📚मुस्लिम शरीफ
यानी अल्लाह त'आला के यहाँ हर नेकी का सवाब दस गुना दिया जाता है। रमजान के एक महीने के रोज़े दस (१०) महीनों के बराबर होंगे। बाकी बचे दो महीने (इस्लामी साल ३६० दिन का होता है) तो यह रोज़े का सवाब दस गुना यानी ६० रोज़े के बराबर हो गया, इस तरह एक साल के बराबर सवाब मिलेगा और हर साल पाबन्दी से रखे तो वह शरीअत की निग़ाह में "समिउद् बहर" यानी पूरी ज़िदगी रोज़े रखने वाला है
📓दरसे तिर्मिज़ी २/५८७ से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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