*औरत एक वक़्त में एक से ज़्यादा शादी न करने और इद्दत वाजिब होने की वजह ?*
⭕आज का सवाल नंबर १३९७⭕
इस्लाम में औरत को एक ही शादी की इजाज़त दी है, और मर्द को चार शादी की इजाज़त दी है, औरत के साथ ऐसी नाइंसाफी क्यों ?
और शौहर के तलाक देने या उसकी मौत के बाद इद्दत पूरी किये बगैर दूसरा निकाह क्यों नही कर सकती ??
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
*इसकी बहोत सी वुज़ूहात है,* जिस में से एक वजह नीचे दिए गए वाक़िये से मालूम होगी वाक़िया पेश किया जाता है।
*साइंस के दायरे में क़ुरानी मुअजीज़ात की एक ज़लक*
*साइंस के डायरे में क़ुरानी मोजिज़ात की एक झलक*
एक माहिर जिनीन ,यहूदी (जो दीनी आलिम भी था) खुले तौर पर कहता है के रूए ज़मींन पर मुस्लमान खातून से ज़्यादा पाक बाज़ और साफ़ सुथरी किसी भी मज़हब की खातून नहीं है।
*पुरा वाक़िया यूँ है के* अल्बर्ट आइंस्टीन इंस्टीटूट से तअल्लुक़ रखने वाला एक माहिरे जिनींन (हमल की जाँच का माहिर) यहूदी पेश्वा रोबर्ट ने अपने इस्लाम क़ुबूल करने का एलान किया, जिसकी वाहिद वजह यह बनी के क़ुरान में मज़कूर मुतल्लक़ा (तलाक़ शुदा औरत) की इद्दत के हुक्म से वाक़फ़ियात और इद्दत के लिए तीन महीने का जो वक़्त दिया गया है उसके पीछे की हिक्मत।
अल्लाह का फर्मान है
"والمطلقات یتربصن بأنفسهن ثلاثة قروء"
[البقرة:२२८]
"मुतल्लक़ा अपने आप को तीन हैज़-मासिक तक रोके रखे"
इस आयत ने डी.एन.ए के रिसर्च में एक अजीब जानकारी हासिल करने का रास्ता खोला, और यह पता चला के मर्द की मनि (स्पर्म) में प्रोटीन दूसरे मर्द के मुक़ाबले ६२% परसेंट अलग होता है। और औरत का जिस्म एक कंप्यूटर की तरह है, जब कोई मर्द हम बिस्तारी/सोहबत करता है तो औरत का जिस्म मर्द के बेक्टेरिआ को जज़्ब (सेव) कर लेता है।
इस लिए तलाक़ के फ़ौरन बाद अगर औरत किसी दूसरे मर्द से शादी कर ले या फिर एक वक़्त में कई लोगो के साथ जिस्मानी तअल्लुक़ क़ाइम रखे तो इसके बदन/जिस्म में कई डी.एन.ए की प्रिंट/छाप बेक्टेरिआ की शक्ल में जमा हो जाते है, जो खतरनाक वायरस बन जाते है, और जिस्म के अंदर जान लेवा बीमारिया पैदा होने का सबब बनती है। साइंस ने पता लगाया के तलाक़ के बाद एक हैज़/मासिक गुज़रने से ३२% से ३५% परसेंट तक प्रोटीन ख़त्म हो जाते है,
ओर दूसरे हैज़ आने से ६७% से ७२% तक मर्द के डी.एन.ए की छाप कम हो जाती है,
ओर तीसरे हैज़ में ९९.९% का खत्म हो जाता है और फिर औरत का जिस्म बाक़ी डी.एन.ए के असर से बिलकुल पाक हो जाता है।
ओर बगैर किसी साइड इफ़ेक्ट व् नुक़सान के नए डी.एन.ए की प्रिंट क़ुबूल करने के लिए तैयार हो जाता है।
एक तवायफ/कॉल गर्ल कई लोगो से तअल्लुक़ बनाती है। जिसकी वजह से उसके जिस्म में अलग अलग मर्दो की मनि (स्पर्म) चली जाती है और जिस्म में अलग अलग डीएनए की छाप जमा हो जाती है, और इसके नतीजे में वह कई बड़ी बड़ी बीमारियो की शिकार हो जाती है।
*ओर रही बात इंतेक़ाल हुए मर्द की बेवा की इद्दत तो इसकी इद्दत तलाक़ शुदा औरत से ज़्यादा है, क्युंके* गम टेंशन की वजह से पिछले डीएनए का असर जल्दी ख़त्म नहीं होता और इसे ख़त्म होने के लिए पहले से ज़्यादा वक़्त चाहिए होता है । इसी की रिआयत करते हुए ऐसी औरत के लिए चार महीने और दस दिन की इद्दत रखी गयी है, फ़रमाने इलाही है
"والذين يتوفون منكم و يذرون أزواجا يتربصن بأنفسهن أربعة أشهر و عشرا"
[البقرة:٢٣٤]
"और तुम में से जिसकी वफ़ात हो जाये और अपनी बीवियाँ छोडे तो चाहिए के वह चार महीने दस दिन अपने आप को रोके रखे"
इस हक़ीक़त से राह पाकर एक माहिर डॉक्टर ने अमेरिका के दो अलग अलग इलाक़ो में तहक़ीक़ की, एक मोहल्ला जहाँ अफ्रीकन पाबंद मुस्लमान रहेते है वहां की तमाम औरतो में सिर्फ एक शोहर ही का डीएनए का असर पाया गया, जब के दूसरे मोहल्ले जहाँ असल अमेरिकन आज़ाद औरते रहेती है इन्मे एक से ज़्यादा दो तीन लोगो तक के डीएनए का असर पया गया। जब डॉक्टर ने खुद अपनी बीवी का ब्लड टेस्ट किया तो चोंका देने वाली हक़ीक़त सामने आयी के इसकी बीवी में तीन अलग अलग लोगो के डीएनए पाये गये, जिसका मतलब यह था के इसकी बीवी इसे धोका दे रही थी, और यह के इसके तीन बच्चो में से सिर्फ एक इसका अपना बच्चा है।
इसके बाद डॉक्टर पूरी तरह काइल हो गया के सिर्फ इस्लाम ही वह दिन है जो औरतो की हिफाज़त और समाज की पाकीज़गी की ज़मानत-गेरेंटी देता है। और इस बात की भी के मुस्लमान औरते दुनिया की सबसे साफ़ सुथरी पाक दामन व् पाक बाज़ होती है।
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و الله اعلم بالصواب
✍🏻 तस्दीक़ :मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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