*शरीक की इजाज़त के बगैर रक़म इसतेमाल करना*
⭕आज का सवाल नंबर १४०१⭕
तिज़ारत में मिला हुवा नफा जो हज़ारों रूपये की रक़म होती है, जीम्मेदार के पास रेहती है, वो ज़िम्मेदार उस को फ़ौरन तक़सीम नहीं करता, और जब तक तक़सीम नहीं करता वह रक़म अपने इस्तमाल में लाता रहता है, कभी उस इस्तमाल की इजाज़त अपने शरीक़ों से लेता है, और कभी बिला इजाज़त इस्तमाल करता है। लेकिन तक़सीम का जो वक़्त आपस में पहले से तय हुवा है उस वक़्त वह रक़म पेश भी कर देता है।
तो तक़सीम से पहले बिला इजाज़त नफ़ा इस्तमाल करना कैसा है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
तिज़ारत के जीम्मेदार की हैसियत अजीर-मज़दूर या मुजारीब-वर्किंग पार्टनर की है। दोनों सुरत में वह नफ़े की रक़म अपने शरीक़ों-पार्टनर्स को पूछे बगैर अपने जाती -परसनल इस्तेमाल में नहीं ला सकता। इसलिए वह रक़म तक़सीम से पहले उस के पास अमानत है ।
📗महमूदुल फ़तावा २/३३१
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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