*एक क़ुरबानी कई लोगों के इसाले सवाब के लिए*
🔴आज का सवाल नंबर.११००🔴
चंद मरहूम के इसाले सवाब के लिए क़ुरबानी करनी हो तो हर मरहूम का अलग अलग हिस्सा रखना ज़रूरी है या एक हिस्सा चंद मरहूम के सवाब के लिए काफी है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
हर एक के लिए जुदा जुदा हिस्सा रखना ज़रूरी है. एक हिस्सा एक से ज़ियादह मरहूम के लिए काफी नहीं. अल्बत्ताह अपनी तरफ से नफल क़ुरबानी कर के उसका सवाब एक से ज़ियादह मुर्दों और ज़िन्दों को बख्शना दुरुस्त है,
जैसे के हुज़ूर ﷺ ने एक क़ुरबानी का सवाब पूरी उम्मत को बख्शा था.
अगर गुंजाईश हो अल्लाह ने माल दिया हो तो अपने मरहूम रिश्तेदार बुजृगों के लिए ज़रूर क़ुरबानी करें. इन दिनों में दूसरे नेक आमाल के मुक़ाबला में सबसे ज़ियादह क़ुरबानी ही का सवाब है. इससे मुर्दों को बड़ा फ़ायदा होता है.
📘फतावा रहमिययह दारुल इशाअत १०/२५ और किताबुन नवाज़िल १४/५२८ से माखूज
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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