Tuesday, August 29, 2017

हज का मुख़्तसर तरीकाः

*हज का मुख़्तसर तरीकाः*

⭕आज का सवाल न.१११४⭕

अय्याम ए हज कोन से है ?अय्याम ए हज में क्या क्या काम करने होते हैं ?
तफ्सील से बताने की गुज़ारिश.

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

८ ९ १० ११ १२ ज़िल्हज्ज अय्याम ए हज हैं.

हज का पहला दिन ८ ज़िल्हज्ज है. इस रोज़ अपनी क़ियाम गाह ही से हाजी गुसल कर के अहराम बांध लेंगे. अहराम की नफल पढ़ें और हज की निय्यत से तल्बियह पढ़ते हुवे मीना की तरफ रवाना हो जायेंगे. और मीना पुहंच कर ज़ुहर असर मग़रिब और ईशा की नमाज़ें अपने खेमे ही में बा जमा'त अदा करें, कसरत से तल्बियह पढ़ते रहे. रात मीना ही में क़याम करना सुन्नत है. 

हज का दूसरा दिन ९ ज़िल्हज्ज है. इस रोज़ फजर की नमाज़ मीना में पढ़ कर जिस वक़्त भी मोअल्लिम ले जाये मैदान ए अराफात को रवानगी होगी. ज़वाल के बाद वुक़ूफ़ ए अराफात का वक़्त शुरू होगा. इस वक़्त खूब रो रो कर अपने गुनाहों से तौबह की जाये. हनफ़ी हाजी ज़ुहर और असर की नमाज़ अपने अपने खेमों में उस के वक़्त में अदा कर ले, और अपना वक़्त अल्लाह ता'अला को याद करते हुवे और अपने अज़ीज़ अक़ारिब और अपने वतन ए अज़ीज़ की सलामती के लिए ज़ियादह से ज़ियादह दुआएं करते हुवे गुज़ारे. ग़ुरूब आफ़ताब के बाद मग़रिब की नमाज़ पढ़े बग़ैर मुज्दलिफा को रवाना हो जाये. मुज्दलिफा पहुंच कर मग़रिब और ईशा की नमाज़ ईशा के वक़्त में अदा की जाये. एक अज़ान और एक इक़ामत के साथ रात मुज्दलिफा ही में गुज़ारे. मुज्दलिफा जाते हुवे वादी ए मुहासार जहां अब्रहा का हाथियों का लश्कर तबाह हुवा था) के पास से गुज़रते वक़्त तेज़ी से इस्तग़फ़ार पढ़ते हुवे गुज़र जाये.

हज का तीसरा दिन १० ज़िल हज है.  मुज्दलिफा में वुक़ूफ़ के बाद जिस का वाजिब वक़्त सुबह सादिक़ के बाद से तलुए आफताब से पहले तक  का होता है, फजर की नमाज़ अदा कर के मीना रवाना हो जाये, तलुए आफताब के बाद से सुबह सादिक से पहले पहले सिर्फ जमराह ए अक़बह (बड़े शैतान) को कंकरियां मारे. कंकरियां रात को मुज्दलिफा ही से उठा ले. बड़े शैतान को सात (७) कंकरियां एक एक कर के मारनी है. जमारात को कंकरियां मारने को रमी कहा जाता है. रमी ए जमरात के बाद क़ुरबानी की जाये. क़ुरबानी करने के लिए बेहतर यह है के सऊदी हुकूमत के ज़ेरे इंतज़ाम मुअतमाद आदमी को  क़ुरबानी की रक़म जमा करवादी जाये. जो आप के रमी करने के बाद फोन पर इत्तेला पा कर क़ुरबानी करके आप को क़ुरबानी हो जाने की इत्तेला दे,  क़ुरबानी करने के बाद सर के बाल मुंडवाए या कटवा ले अल्बत्ताह औरतें अपने सर की चोटी के तमाम बालों को मिलकर बाल को एक ऊँगली की पोर के बराबर खुद काट ले या अपने मेहरम से कटवा लें.

अब अहराम की पाबंदियां ख़तम हो जाएगी, सिर्फ बीवी हलाल न होगी,  जब तक तवाफ़ ए ज़ियारत न कर लें, नहा-धो कर अपना आम लिबास पहन लिया जाये. इस के बाद अगर हिम्मत और ताक़त हो तो इसी रोज़ वरना ११ १२ ज़िल हज को तवाफ़ ए ज़ियारत के लिए मक्का मुकर्रम चले जाएँ. ज़ियादह बेहतर यह रहता है के ११ ज़िल हज को सुबह सुबह तवाफ़ ज़ियारत के लिए मक्का मुकर्रम चले जाये और वहाँ से वापसी में ज़वाल के बाद तीनो जमारात (तीनो शैतानो  को सात सात (७-७) कंकरियां मारते हुवे अपने खेमों में चले जाएँ. तवाफ़ ए ज़ियारत १० ज़िल्हज्ज से ले कर १२ ज़िल्हज्ज तक ग़ुरूब आफ़ताब से पहले पहले तक किया जा सकता है.

तवाफ़ ए ज़ियारत के बाद सई भी करनी होगी. १० ज़िल हज का दिन गुज़रने के बाद रात मीना ही में क़याम करना होगा.

हज का चौथा दिन ११ ज़िल्हज्ज है. मीना में ज़वाल से लेकर गुरूबे आफ़ताब तक बल्कि औरतों और बूढ़ो को और बहोत ही भीड़ में सब को सुबह सादिक तक जमराह ए उला (छोटा शैतान) फिर जमराह ए वुसताह (दरमियाना शैतान) फिर जमराह अक़बह (बड़ा शैतान) को ७ ७ कंकरियां एक एक करके मारनी है, रात को मीना ही में क़याम करना होगा. 

हज का पांचवां दिन १२ ज़िल्हज्ज है. मीना में ज़वाल के बाद से गुरुबे आफ़ताब तक अफ़ज़ल, और सुबह सादिक तक जाइज़ वक़्त में तीनो जमारात को तरतीब वार एक एक कर के सात कंकरियां मारनी है और सुबह सादिक़ से पहले पहले मीना की हदूद (बॉर्डर) से बाहिर निकल जाना है. वरना फिर मीना ही में ठहरना (क़याम करना) होगा और १३ ज़िल्हज्ज को भी रमी ए जमारात करनी होगी.
अय्याम ए हज में अगर किसी *औरत को माहवारी एमसी अय्याम शुरू हो जाएं तो वह हज के तमाम अफआल बजा लावे, सिवाए तवाफ़े ज़ियारत के, पाक होने के बाद वह तवाफ़ और सई करे. मजबुरी में ताख़ीर की वजह से औरत पर कोई कफ़्फ़ाराह नहीं होगा. रमी मर्द और औरत को खुद करना होगी, वतन रवानगी से पहले तवाफ़ ए वदा करना भी ज़रूरी है.

📗अनवारे मनासिक मुअल्लिमुल हुज्जाज
किताबुल मसाइल में से खुलासा

ये मेसेज आप के कोई ताल्लुक़ वाला हज को गया हो तो उसे ज़रूर भेजें, हो सकता है के इसे पढ़कर उस को हज में सहूलत हो जाये.

و الله اعلم بالصواب

✏Mufti Imran Ismail Memon

🕌Ustaze daarul uloom Rampura surat, Gujarat, India.

📲Subscribe Our Youtube Channel
Www.youtube.com/BayanatPost

No comments:

Post a Comment

AETIKAF KE MAKRUHAAT

*AETIKAF KE MAKRUHAAT* ⭕AAJ KA SAWAL NO.2101⭕ Aetikaaf kin cheezon se makrooh hota hai?  🔵JAWAB🔵 Aetikaf niche dee hui baton se makrooh ho...