*ज़ुल हिज्जा में बाल नाखून काटना*
⭕आज का सवाल न. १११०⭕
ज़ुल हिज्जा का चाँद होने के बाद बाल और नाखून काटना कैसा है ? इसकी क्या मस्लिहत व हिकमत है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
ज़िल हिज्जा का चाँद होने के बाद जिसके ज़िम्मे क़ुर्बानी हो उसे बाल और नाखून ईद की नमाज़ और उस की क़ुर्बानी होने तक न काटना *मुस्तहब है.* ताके क़ुर्बानी का जानवर उसके हर हर जुज़-हिस्सा का बदल और फ़िदयाह हो जाए और अल्लाह ता'अला की रहमत से उस आदमी के जिस्म का कोई हिस्साः महरूम न रहे, लोगों के ज़िम्मे क़ुर्बानी नहीं है वह भी क़ुर्बानी करने वालों की और हज में गए हुवे हाजियों की मुशाबेहत (कॉपी) इख्तियार करेंगे तो वह भी उन पर नाज़िल होनेवाली रहमत से इंशा अल्लाह महरूम न रहेंगे, कोई अपने बाल और नाखून काटेगा तो न गुनेगार होगा, न क़ुर्बानी में कोई खराबी आएगी, इस पर वाजिब की तरह अमल करना और ऐसा न करने वालों को टोकना सहीह नहीं है, चीज़ जिस दर्जा में साबित हो उसको उसी दर्जा में रखना चाहिए.
नोट: जिसके ज़ेरे नाफ (दुती /नाफ के निचे) के बाल और बगल के बालों पर ४० रोज़ गुज़र गए हो तो वह शख्स इस मुस्तहब पर हरगिज़ अमल न करे, अगर वह काटने में ४० दिन से ज़ियादह ताख़ीर करेगा तो गुनेहगार होगा.
📚मिरकातुल मफ़ातीह ३/३०६
मसाइल क़ुर्बानी,
इस्लाही ख़ुत्बात से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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