Thursday, May 4, 2017

दाढ़ी  मुंदे की  तरावीह

*दाढ़ी  मुंदे की  तरावीह*

⭕आज  का  सवाल  नंबर  १००१⭕

एक  शख्स  दाढ़ी  मूँदता  है  उस ने  सच्चे  दिल  से  तौबा  कर  ली  है  और  आइन्दाह रखने  का  पक्का  इरादा  कर  लिया  है  मगर  अभी  एक  मुश्त  दाढ़ी  नहीं  हुई  है  और  उगाना या  लम्बी  करना  उस के  इख़्तियार  में  नहीं  है  तो  किया  ऐसे  के  पीछे  फ़र्ज़  नमाज़  और  तरावीह  मकरूह  होगी ?

इसी  तरह  जो  इमाम  दाढ़ी  मुंडाना या  एक  मुश्त  से  पहले  कटाना नहीं  छोड़ते  ऐसे  इमाम  के  पीछे  फ़र्ज़  नमाज़  और  तरावीह  का  क्या  हुक्म  है  तफ़सीलन जवाब  इनायत  करे ?

🔴जवाब🔴

फकीहुल  असर  मुफ़्ती  रशीद  अहमद  लुधयानी  रहमतुल्लाहि  अलैहि  लिखते  हैं  तौबा  के  बावजूद  ऐसे  शख्स  की  इमामत  दो  वजह  से  मकरूह  है.

१. एक  ये  के  उसपर  अभी  तक  इस्लाह  का  असर  ज़ाहिर  नहीं  हुवा  है  और  ये  फैसला  नहीं  किया  जा  सकता  के  आईन्दा  इस  कबीरा  गुनाह  से  बचने  का  एहतमाम  करेगा  या  नहीं  ?

२. दूसरी  वजह  ये  है  के  जिन  लोगों  को  तौबा  का  इल्म  नहीं  उन  को  ये  गलत  फहमी  होगी  और  यही  समझेंगे  के  फ़ासिक़  नमाज़  पढ़ा  रहा  है.

(इस  जहालत  के  दौर  में  दाढ़ी  कटाने  वाले  की  इमामत  जाइज़ है  ऐसी  गलत फहमी  फैलने  का  भी  अंदेशा  है)

📗अहसनुल फतावा  ३/२६२

फकीहूननफ़्स  मुफ़्ती  किफ़ायतुल्लाह  رحمت اللہ علیہ लिखते  हैं  अगर  दूसरा  इस  से  बेहतर  इमाम  मिल  सकता  है  तो  उसे  इमाम  न  बनाया  जाये.

📔किफ़ायतुल  मुफ़्ती  ३/८७

ऐसा  इमाम  सख्त  गुनेहगार  है  उस  के  पीछे  नमाज़  मकरूहे  तहरीमी  है  और  वह  वाजिबुल  ईहानत (तौहीन करना  वाजिब) है  उस  को  इमाम  बनाने  में  उस  की  ताज़ीम -इज़्ज़त  है  इसलिए  उस  को  इमाम  बनाना  जाइज़  ही  नहीं.

📕इम्दादुल  मुफ़्तिययीन  १/२६१ बाहवाला शामी १/२७६

अगर  कोई  ऐसा  शख्स  ज़बरदस्ती  इमाम  बन  गया  या  ट्रस्टियों  ने  बना  दिया  और  हटाने  पर  क़ुदरत  न  न  हो  तो  किसी  दूसरी  मस्जिद  में  नेक -सालिह  इमाम  तलाश  करे, अगर  न  मिले  तो  जमात  न  छोड़े  बल्कि  उस  फ़ासिक़  के  पीछे  ही  नमाज़  पढ़  ले  उस  का  अज़ाब  और  वबाल  मस्जिद  के  मुन्तज़िमीन -ज़िम्मेदारों -ट्रस्टियों  पर  होगा.

📓अहसनुल फतावा  ३/२६

उस  को  इमाम  बनाना  मकरूह  है  अलबत्ता  अगर  वह  खुद  इमाम  बनकर  नमाज़  पढ़ावे  तो  नमाज़  हो  जाएगी  अगरचे  वह  सवाब  न  मिले  जो  मुत्तक़ी  इमाम  के  पीछे  पढ़ने  से  मिलता  है.

📘फतावा  महमूदिया  ७/४३

इसी  तरह  अगर  सब  मुक़्तदी  दाढ़ी  मूंदे  हो  तो  दाढ़ी  मुंडाने  वाला  इमाम  बन  जाये. 

📙किफ़ायतुल  मुफ़्ती  ३/५७

📚मसाइले इमामत  ५८  से  ६०  का  खुलासा.

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