*रिश्वत देने & लेने की सूरतें*
⭕आज का सवाल नंबर .९७० ⭕
आज का हर तरफ रिश्वत का बाजार गर्म है. बाज़ मवको पर शरीफ आदमी भी रिश्वत देने पर मजबूर होता है. रिश्वत कहाँ देना जाइज़ और कहाँ देना ना जाइज़ है ? ये मालूम न होने की वजह से काफी परेशानी और बाज़ मर्तबा नुकसान भी उठाना पड़ता है लिहाज़ा कोई ऐसा ज़ाब्ता-क़ानून बता दो. जिस को सामने रख कर हर मवके का हुक्म मालूम हो जाये और शरीअत पर अमल करना आसान हो.
🔵 आज का जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
हज़रत मुफ़्ती रशीद लुधयानी رحمت اللہ علیہ इस सवाल का जवाब लिखते हुवे तहरीर फरमाते है के
रिश्वत लाइन की मुख़्तलिफ़ सूरतें हैं हर एक का हुक्म लिखा जाता है.
१. हुकूमत से जज़ या इस जैसा कोई मनसब (पोलिस, या कोई ऊँचा उहदा लेने के लिए)
२. हाकिम (जज़) से कोई फैसला करवाने के लिए.
३. ज़ुल्म पर मदद करने के लिए.
इन तीनों सूरत में रिश्वत देना भी हराम और लेना भी हराम.
हाकिम (सरकारी ओहदेदार) से हक़ ना मिलने का खतरा हो उस को इस ज़ुल्म के दूर करने के लिए रिश्वत देना भी जाइज़ नहीं इसलिए के इस से हाकिम (ओहदेदार) की आदत बिगड़ेगी जो पूरी क़ौम पर ज़ुल्म का सबब बनेगी.
४. जिस से नुकसान का खरता हो उसे रिश्वत देना जाइज़ है लेकिन उस के लिए लेना हराम है.
५. नुकसान को दूर करने या किसी नफे को हासिल करने के लिए दरमियान में वास्ता बननेवाले यानि सिर्फ शिफारिश करनेवाले को रिश्वत देना जाइज़ है लेकिन उस को लेना जाइज़ नहीं. अलबत्ताह दरमियान में वास्ता बननेवाले के ज़िम्मे कोई काम लगाया जाये तो उस के लिए उस काम की उजरत- मज़दूरी लेना जाइज़ है
बशर्ते के वह बजाते खुद उस काम करने की ताक़त रखता हो वह किसी और की ताक़त पर भरोसा कर के काम करे तो उस का ऐतिबार नहीं (इसलिए उस को उजरत लेना जाइज़ नहीं)
📗जदीद मुआमलात के शरई अहकाम १ /१७६ बाहवाला
📘 अहसनुल फतावा व रद्दुल मुहतर ४ /३०३
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
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