Sunday, April 30, 2017

तीन तलाक़ एक साथ क्यों हो जाती है ?

*तीन  तलाक़  एक  साथ  क्यों  हो  जाती  है  ?*

⭕आज  का  सवाल  नंबर  ९९७⭕

आज  कल  लोग  तीन  तलाक़  साथ  में  ही  दे  देते  है  लिहाज़ा  ऐसा  कुछ  होना  चाहिए  के  उस  से  तलाक़  वाक़िअ  ही  न  हो  या  तीन  तलाक़  एक  ही  वाक़िअ  हो  और  निकाह  का  रिश्ता  ख़त्म  न  हो ?

🔵 आज  का  जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما
दीन के  अहकाम  में  गलती  निकालना या  उस  को  अपनी  ख़ाहिश -मनमानी  के  ताबिअ करना  ईमान को  बरबाद करनेवाली  चीज़  है, हाँ  कभी  ऐसा  वस्वसाह  आये  या  कोई  गैर  मुस्लिम  सवाल  करे  तो  इन को  ये  जवाब  दिया  जाये  के  तीन  तलाक़  एक  साथ  देना  इस्लाम  में  सख्त  हराम  और  सजा  के  क़ाबिल  गुनाह  है, तीन  तलाक़  एक  साथ  हरगिज़  नहीं  देनी  चाहिए.
बल्कि  तलाक़  देने  से  पहले  एक  तरतीब  है  जिस  के  चार  स्टेप  है.

👉🏻पहले  बीवी  को  समझाए 

👉🏻फिर  भी  न  माने तो बिस्तर  अलग  करे 

👉🏻फिर  भी  काबू  में  न  आये  तो  हलकी  मार मारे

👉🏻फिर  भी  काबू  में  न  आये  दोनों  खानदान  के  ज़िम्मेदार  मिलकर  सुलह  की  कोशिश  करे 

👉🏽फिर  भी  झगड़ा  ख़त्म  न  हो  तो  एक  ही  तलाक़  देनी  चाहिए 

👉🏿लेकिन  किसी  ने  फिर  भी  तीन  दी  तो  उस  का  असर  ज़रूर  होगा  यानि  वाक़िअ  हो  जाएगी.

जैसे  के  हुकूमत  का  क़ानून  है  पोलिसवालों  के  लिए  के  को  के  कोई  जुर्म : गुनाह  लोग  कर  रहे  हों  तो  उस  को  रोकने  के  लिए  टियर गैस  के  शेल  फोड़े  जाये  या  पानी  का  मारा   चलाया  जाये  इस  से  काबू  में  न  आये  तो  लाठी  चार्ज  की  जाये  इस  से  भी  काबू  में  न  आये  तो  पैर  पर  गोली  मारी जाये  फिर  भी  काबू  में  न  आये  तो  फिर  सीने में  गोली  मारकर ख़त्म  किया  जाये.

लेकिन  पोलिस  इस  तरतीब  पर  न  चले  और  किसी  को  रोकने  के  लिए  डाइरेक्ट  गोली  चला  दे  तो  उस  का  असर  होगा  के  उस  से  मुजरिम  ज़रूर  मरेगा.
ज़हर  नहीं  खाना  चाहिए  लेकिन  किसी  ने  खा  लिया  तो  उस  का  असर  होगा  खानेवाला  मरेगा ही.
छुरी  से  फल  ही  काटना  चाहिए  किसी  इंसान  का  गला  काटने  की  इजाज़त  नहीं  फिर  भी  किसी  ने  किसी  के  गले  पर  छुरी  चला  दी  तो  उस  के  असर  से  गला ज़रूर  कटेगा.
कुसूर कानून का नहीं क़ानून का गलत ईस्तिअमाल करनेवालों का है

ये  कैसे  हो  सकते  है  गोली  तीन  चलाये  और  एक  ही  निकले
चक्कू  के  घाव  तीन  मारे  और  ज़ख़्म  एक  ही  हो.

तीन  रुपये  बोले  या  लिखे  जाये  और  उस  को  एक  ही  समझा  जाये  ऐसी  हज़ारों  मिसालें मिलेगी  जिस  से  ये  साबित  होता  है  कोई  गैर  क़ानूनी  काम  नहीं  करना  चाहिए  फिर  भी  किसी  ने  वह  काम  कर  दिया  तो  उस  का  वजूद -पाया  जाना  तो  होगा  ही.

जब  इन  दुनयावी  मिसालों  पर  इश्काल-ऐतराज़  नहीं  तो  दीनी  अहकाम -मसाइल  पर  कियूं  ऐतराज़  होता  है ! मालूम  हुवा  के  दीन  से  मुहब्बत  की  कमी  है  और  क़ुरआन  हदीस  पर  इमां  कमज़ोर  हो  चूका  है. लिहाज़ा  ईमान पर  मेहनत करे.

واللہ اعلم

✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

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