Monday, February 26, 2018

नमाज़ पढ़ते वक़्त तालीम करना

*नमाज़ पढ़ते वक़्त तालीम करना*

⭕आज का सवाल नंबर.१२७८⭕

तब्लीगी जमात की कोशिश से हमारी मस्जिद में बाद नमाज़ ऐ ईशा ता'अलीम होती है, एक दो आदमी नमाज़ लम्बी पढ़ते हैं और किसी की जमात काम की वजह से छूट जाती है, कुछ हज़रात हक़्क़ह और रेडियो (मोबाइल) की वजह से जमात छोड़ देते हैं, बाद में आने वाले हज़रात परेशान होते हैं, किताब पढ़ने से मना करते हैं, उनकी रियायत ज़रूरी है या नहीं?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلم

जमा'अति काम करने से जमाती फ़ायदाः है, उससे दीनी मालूमात हासिल होती है, एक दो आदमी लम्बी नमाज़ पढ़ते हैं उससे उनका शख्सी (पर्सनल) फ़ायदाः है, अगर वह ईसार  करे (क़ुरबानी दे) के शख्सी फ़ायदाः पर इज्तिमाई फ़ायदाः को मुक़द्दम रखे तो यह आला मक़ाम है, उसकी सूरत यह है के फ़र्ज़ के बाद सुन्नत पढ़ कर ता'अलीम में शरीक हो जाएँ, उनको ता'अलीम का फ़ायदाः पहुंचेगा फिर ता'अलीम के बाद अपनी लम्बी लम्बी नमाज़ जब तक दिल लगे पढ़ते रहें.

📗फतवा महमूदियाः ४/३१६.

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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