Friday, February 2, 2018

बय'त होने की हकीकत*

*बय'त होने की हकीकत*

⭕आज का सवाल न.१२५२⭕

बय'त होना केसा है ? और क्यों होते है ? इस की क्या ज़रुरत और फ़ायदाः है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

जिस तरह जिस्म को बीमारी लगती है इसी तरह रूह को भी बीमारी लगती है, रूह की बीमारियां मसलन तकब्बुर-घमंड करना, हसद-अदेखाई करना, किना-कपट, माल की मुहब्बत वगैरह, ये सब हराम है, जैसे सुव्वर खाना और शराब पीना हराम है, जिस के दिल में ये गुनाह होंगे वह जन्नत में नहीं जायेगा, उस से पाक साफ़ होने के लिए जहन्नम में डाला जायेगा, अल्लाह अपने फ़ज़ल से वेसे ही पाक कर दे तो वो उस की मर्ज़ी लेकिन ये ज़रूरी नही इस लिए इन दिल की बीमारी का इलाज ज़रूरी है, इसी को बुरे अख़लाक़ का दूर करना कहते है, और जिस तरह नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है इसी तरह सबर के मौके पर सब्र करना फ़र्ज़ है, जिस तरह रोज़ा रखना और ज़कात निकालना फ़र्ज़ है इसी तरह शुक्र और इखलास उन के मौके पर इख़्तियार करना फ़र्ज़ है. इसी को अच्छे अख़लाक़ से मुज़य्यन हों (संवारना) कहते है, असल में अख़लाक़ सिर्फ मुस्कुरा कर हर एक से अच्छी तरह मिल लेने का नाम नहीं, बल्कि ये भी दिल में पैदा होनेवाले अख़लाक़ का असा है, जिस तरह जिस्म की बीमारी के डॉक्टट होते है इसी तरह रूह की बीमारी के डॉक्टर होते है, जिस तरह जिस्म की हर बीमारी का इलाज हम खुद नहीं करते बल्कि डॉक्टर से करवाते है,  इसी तरह रूह-दिल के अंदर की बीमारी का इलाज भी उस के डॉक्टर से करवाना चाहिए, वह डॉक्टर वह सूफिययाह- अल्लाह वाले बुजरुग हस्तियां है, जिन्होंने किसी और अल्लाह वालों से अपना इलाज करवाया हो,  और अपने रूह और दिल को तमाम क़िस्म की बिमारियों से पाक किया हो, उन से खिलाफत-लोगों को बय'त करने की इजाज़त पायी हो, इस फन को डॉक्टरी फन की तरह सीखा हो, उन से बय'त होते है, यानि उन के हाथ पर तमाम गुनाहों से तौबा करते है, और आइन्दः शरीअत-अल्लाह के हुक्मों और नबी सलल्लाहु अलैहि व सल्लम के तरीकों पर चलने का और किसी क़िस्म के गुनाह न करने का वादा-अग्रीमेंट करते है, इसी को बय'त कहते है, फिर शैख़ के बताये हुवे ज़िक्र-मामूलात के रूहानी टॉनिक की सोहबत-उस के पास हाज़री से चेकअप और मशवरा के ज़रिये रूह-दिल का अंदर बिमारियों से साफ़ होता है, और अल्लाह की मुहब्बत और उस से ता`लुक पैदा होती है, जिस से दीन पर चलना आसान होता है

📗इस्लाही ख़ुत्बात ३/८३ से ८७ का खुलासा और
📘बय'त होनेवालों को हिदायत से माखूज़.

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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