*चिल्ले (४० दिन) का सुबूत*
⭕आज का सवाल न.१२६७⭕
तब्लीगी जमात में चिल्ले चार महीने लगाने को कहा जाता है क्या इसका सुबूत है या यह रस्म और बिदअत है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
चिल्ले तक किसी काम की पाबन्दी की जाये तो उसके बहोत अच्छे असरात मुरत्तब होते हैं और काम में खासी (बा असर) दिल जमाई नसीब होती है, यह बात हदीस से साबित है,
बुखारी की हदीस में है के नुतफ़ाह (मनी का क़तरह) ४० दिन में अलक़ह (जमा हुवा खून) बनता है, फिर दूसरे ४० दिन में मुद्घ (गोश्त का लोथड़ा) बनता है, फिर तीसरे ४० (या'नी चार महीने में) रूह फूंकी जाती है, और उसकी उम्र, रोज़ी, अमल व बक्र या बद बख्त होना लिख दिया जाता है.
📚(बुख़ारी शरीफ हदीस न.३३३२)
४० दिन तक्बीरे ऊला के साथ नमाज़ पढ़ने पर निफ़ाक़ और जहन्नम से बरी होने का परवाना (सर्टिफिकेट) मिलने की भी खुश खबर आयी है, और ४० दिन में फ़ायदा पहुंचने और तबियत में तब्दीली आने का अकाबिरिन का भी तजरबा है
📗फतावा महमूदिया ४/२२३ २२५.
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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