*कौन सी जगह कैसा परदह करना करवाना चाहिए?*
⭕आज का सवाल न.१२६३⭕
औरत के लिए ना-महरमो से परदह की कया हद कोन सी जगह और कया है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
अजनबी गैर-महरमो से चार दीवारी का परदह है, और जो ना-महरम रिश्तेदार हो और औरत उनके सामने जाने पर मजबूर हो उनसे चादर का परदह लाज़िम है, इसकी तफ्सील हज़रत थानवी रह. के रिसाले तालिमुल तालिब से नक़ल करता हूँ:
जो रिश्तेदार शर’न महरम नहीं, मसलन खाला ज़ाद, मामू ज़ाद, फूफी ज़ाद भाई या बहनोई या देवर वगेरा, जवान औरत को उनके रुबरु (सामने) आना और बे तकल्लुफ बाते करना हरगिज़ नहीं चाहिए, मकान की तंगी या हर वक़्त की आमद राफ्ट की वजह से गहरा परदह न हो सके तो सर से पाँव तक तमाम बदन किसी चादर से ढांक कर शर्म व् लिहाज़ से बा-ज़रूरत रुबरु (सामने) आ जाये,
कलाई, बाजू और सर के बाल और पिंडली इन सबका ज़ाहिर करना हराम है, इसी तरह इन लोगो के रुबरु इतर लगा कर औरत को आना जाइज़ नहीं और न ही बजता हुवा ज़ेवर पहने.
ता’आलिमुल तालिब ५
📗आपके मसाइल और उनका हल ८/३५
و الله اعلم بالصواب
✏हक़ का दाई अंसार अहमद साहब
®✒तस्दीक़.
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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