Sunday, February 18, 2018

तब्लीग पहले घर में फिर बहार ??

*तब्लीग पहले घर में फिर बहार ??*

⭕आज का सवाल न.1269⭕

ज़ैद पंचगाना नमाज़ अदा करता है. कभी कभी तब्लीगी जमात में चिल्लाह लगाता है. मस्जिद के इमाम जो मुस्तनद (सनद पाए हुवे) आलिम हैं उस से कहते है के तुम्हारे लिए ज़रूरी है के पहले तब्लीग अपनी बस्ती व घराने की करो, जब के घराने में बे नमाज़ी हों, और बस्ती में किस क़दर बे नमाज़ी हैं घर घर तब्लीग करो, उस के बाद बहार दूसरी जगा तब्लीग के लिए जाओ, और दलील में आयत पेश करते हैं "अपने घरवालों को नमाज़ का हुक्म दीजिये और खुद उस पर जमे रहिये.." बयान करते हैं, कया ये सहीह है?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

अपने घर और बस्ती का हक़ दूसरों पर मुक़द्दम है लेकिन इस का ये मतलब नहीं के घर या बस्तीवाले जब तक पुरे पाबंद न हो जाएँ दूसरों तक पैगाम न पहुंचाया जाये, मसलन किसी जगा दीनी मद्रसह जैसे दारुल उलूम देवबंद ही है, यहाँ उस की पाबन्दी नहीं की गई के देवबंद के एक एक आदमी को पूरा आलिम बनाया जाये, तब दूसरी जगा के तालिबे इल्म को दाखिले की तरग़ीब दी जाये, न किसी बुजरुग के मुताल्लिक़ ये मालूम हुवा के अपने घर और बस्ती वाले पूरी इस्लाह किये बगैर बहार के आदमियों की बयत न की हो, न किसी हाफिज आलिम ने बहार के लड़कों को पढ़ाने के लिए इस का एहतमाम किया हो, बल्कि बा कसरत यही देखा जाता है के घर और बस्ती वाले फैज़ हासिल नहीं करते, बाहर वाले कर लेते हैं, नबीये करीम सलल्लाहु अलैहे वसलम ने ताइफ़ वगैरह तसरीफ ले जाने से पहले क्या मक्काः के सब लोगों को मुस्लमान कर लिया था ? ये जवाब उस वक़्त है जब के तब्लीग का मक़सद भी यही हो, लेकिन अगर तब्लीग का मक़सद मेहनत और मुजाहिदाह कर के अपने दीन को पुख्ता करना हो तो ये सवाल ही पैदा नहीं होता.

📕हक़ीक़ते तब्लीग सफा ८५.

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

📲💻
http://www.aajkasawal.page.tl

http://www.aajkasawalhindi.page.tl

http://www.aajkasawalgujarati.page.tl

गुज.हिंदी उर्दू पर्चों के लिए 
www.deeneemalumat.net

No comments:

Post a Comment

AETIKAF KE MAKRUHAAT

*AETIKAF KE MAKRUHAAT* ⭕AAJ KA SAWAL NO.2101⭕ Aetikaaf kin cheezon se makrooh hota hai?  🔵JAWAB🔵 Aetikaf niche dee hui baton se makrooh ho...