⭕आज का सवाल न.१२३७⭕
जमातें मरकज़ वगैरह से आती जाती रहती हैं, अक्सर व बेश्तर ये देखा गया है के अमीरे जमात वहैरह रुकूअ व सुजूद व क़ियाम ख़िलाफ़े सुन्नत अदा कर के इस खियाल से के कहीं नमाज़ी चले जाएँ फारिग हो जातें हैं, नमाज़ी अभी सुनन व नवाफिल वित्र ही पढ़ रहे हैं, और अमीरे जमात वगैरह अपनी तक़रीर या किरात का पढ़ना ज़ोर से शुरू कर देते हैं, जिस से करीब नमाज़ियों का बा इत्मिनाने क़ल्ब नमाज़ पढ़ना दुश्वार हो जाता है, आयते क़ुरानी में भूल पड़ती है.
क्या ये फेल और तरीक़ा शरीअत में जाइज़ है या नहीं ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
उन को ताकीद की जाये के सुन्नत के मुताबिक़ नमाज़ अदा करें, नमाज़ियों की फरागत का भी इन्तिज़ार करें, लेकिन अगर सब की फरागत का इन्तिज़ार करने तक सब नमाज़ी चले जाएँ और जो शख्स सब से आखिर में फारिग हो बस वही रह जाये तो फिर काम करने की क्या सूरत होगी !!
इसलिए बेहतर ये है के फ़र्ज़ के बाद सुन्नते मुअक्कदह तो सब इत्मीनान से अदा कर लें फिर बैठ जाये और किताब और तक़रीर सुने उस के बाद वित्र और नवाफिल पढ़ लें, ताके सब का काम हो जाये और किसी को शिकायत का मौक़ा न मिले.
फतवा महमूदियाः ४/३२०.
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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