*फेसबुक का इस्तिअमाल*
⭕आज का सवाल नम्बर १४०९⭕
मेने फ़लस्तीन पर ज़ुल्म के वाक़िआ के बाद फेस बुक इस्तिअमाल करना बंद कर दिया है।
मुझे सोशयल नेटवर्क शुरूआ करना है तो कया में या कोई और दोबारह फेस बुक इस्तिअमाल कर सकता है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
फेसबुक के जाइज़ और मबाह प्रोग्रामों को देखना और उस सिलसिलाह में उस का इस्तिअमाल अगरचे अपनी ज़ात के ऐतिबार से जाइज़ है।
मगर गैरते इस्लामी के खिलाफ है।
इसलिए एक मुस्लमान को फेसबुक के जाइज़ इस्तिअमाल से भी बचना चाहिए। इल्ला ये के इस्लाम के दिफ़ाअ-डिफेन्स और किसी गलत चीज़ को रोकने के लिए इस्तिअमाल किया जाये, जबके गलत प्रोग्राम तो किसी भी नेटवर्क के ज़रिये देखना हराम और उस से बचना वाज़िब है।
📘फतावा बिननोरिया सीरियल नम्बर १००७७
✏मुफ्ती महबूब इलाही दारुल इफ्ता बिनोरिया
हज़रत शैख़ हनीफ़ साहब लुहारवी शैखुल हदीस जामिआ कास्मिया, खरोद, गुजरात, (खलीफ़ा ए हज़रत शैख़ यूनूस जौनपुरी) फरमाते है जिस का खुलासाः है के
*"फेसबुक ये गन्दी और बेहयाई की दुन्या है। इस पर हमारे प्यारे नबी सलल्लाहु अलयहे वसल्लम की तस्वीर रखी गई है। जिस को हताया नहीं जा रहा है। हम जब फेस बुक खोलते है तो उस के मालिक को एक डॉलर मिलता है। नबी के गुस्ताख़ को हम फ़ायदाः पहोंचा रहे है। अगर हम उस तस्वीर को हटा नहीं सकते है तो कम से कम नबी की मुहब्बत में उस गुस्ताख़ को फेसबुक के ज़रिये फ़ायदाः पहुंचाना छोड़ दे। नबी को हमारा ये अमल पसंद आ जायेगा तो नबी हमें उंगली पकड़ कर जन्नत में देखि करायेंगे।"*
अहकर केहता के, फेस बुक पर निग़ाह की हिफाज़त बहुत मुश्किल है। लिहाज़ा इस को एहतियातन इस्तिअमाल नहीं करना चाहिए। जिस इस्लाम के दिफ़ाअ या उस की ईशाआत के लिए उस को इस्तिअमाल करना हो किसी बुजरुग के मश्वरे से ईस्तिअमाल करे, और उन्हें अपने हालात यानि फ़ायदाः नुक़सान की इत्तिला देता रहे।
ओर मुस्लमान जवान औरतेँ तो हरगिज़ इस्तिअमाल न करे। उन्हें रोक दें। हमारी लड़कियां जो ज़िना में मुब्तला हो रही है या ग़ैरों के साथ शादी कर रही है उस की वुजुहात में से एक यह फेस बुक का इस्तिअमाल भी है।
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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