*काम न कर के तनख्वाह (सैलरी) लेना*
⭕आज का सवाल नंबर १४१३⭕
अगर कोई मुलाज़िम (नौकर) सरकारी (या प्राइवेट) मुलाज़िमत करता है, मुलाज़िमत का वक़्त सुबह १०:०० बजे से शाम ५:०० बजे तक है, मुलाज़िम दस्तखत (साइन) कर के हाज़िरी लगा कर आ जाता है। और मुलाज़िमत के अवक़ात घर पर गुज़ारता है और उस वक़्त कोई बड़े साहब (निगरान या सेठ) आ जाएँ और पूछ ताछ करे तो अपनी तबियत ख़राब बतलाना वगैरह बहाना कर देता है।
ओर जिस वक़्त हक़ीक़त में बीमार होता है तो अपने साथी मुलाज़िम (नौकर) को हाज़िरी लगाने को केहता है के मेरी हाज़िरी लगा देना। और वह साहब हाज़िरी भी लगा देते हैं। और महीने के आखीर में बराबर तनख्वाह (सैलरी) हासिल करता है तो यह तनख्वाह लेना कैसा है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
*येह तनख्वाह हराम और ना-जाइज़ है।*
📗महमूदुल फ़तावा जिल्द ३ सफा २५
✒पीरो मुर्शिद नमूना ए सलफ हज़रत अक़दस मुफ़्ती अहमद खानपुरी दामत बरकातुहुंम
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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ma sha allah..
ReplyDeletebahut hu umda vaat bata di
jazakallah