*प्रोविडेंट फण्ड पर ज़कात. पार्ट १*
⭕आज का सवाल नंबर १३३८⭕
प्रोविडेंट फण्ड में जो रक़म मुलाज़िम की तनख्वाह से काटी जाती हे और उस पर माहाना या सालाना इज़ाफ़ा किया जाता हे इस पर ज़कात का क्या हुक्म है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
ये सब मुलाज़िम की खिदमत का वो मुआवज़ा हे जो अभी उसके क़ब्ज़े में नहीं आया लिहाज़ा वो महकमे-कंपनी के ज़िम्मे मुलाज़िम का क़र्ज़ हे
ज़कात के मामले में फुक़्हा ए कीराम रह. ने क़र्ज़ की ३ क़िस्मे बयान फ़रमाई हे जिनमे से बाज़ पर ज़कात वाजिब होती हे और बाज़ पर नहीं होती,
वसूल होने के बाद जाब्ते-काइदह के मुताबिक़ ज़कात वाजिब होगी जिसकी तफ्सील ये हे
मुलाज़िम अगर पहले से साहिबे निसाब नहीं था मगर उस रक़म के मिलने से साहिबे निसाब हो गया तो वसूल होने के वक़्त से एक क़मरी-इस्लामी साल पूरा होने पर ज़कात वाजिब होगी, बा-शर्ते उस वक़्त तक ये शख्स साहिबे निसाब रहे,
अगर साल पूरा होने से पहले माल खर्च होकर इतना कम रह गया क साहिबे निसाब नहीं रहा तो ज़कात वाजिब नहीं होगी
अगर खर्च या ज़ाया होने के बावजूद साल के आखिर तक माल बा-क़द्रे निसाब बचा रहा तो जितना बाक़ी बच गया सिर्फ उसकी ज़कात वाजिब होगी, जो खर्च हो गया उसकी नहीं होगी
و الله اعلم بالصواب
बाक़ी कल इंशा'अल्लाह
📗फ़िक़हुल इबादात २७७
✏हक़्क़ का दाई अंसार अहमद
✒तस्दीक़ मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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