*सूद से तरक़्क़ी का ऐतराज़*
⭕ आज का सवाल नंबर १३१७⭕
बाज़ लोग कहते हैं के यह बड़ी बड़ी ईमारत (बिल्डिंग) बंगले मोल् क़ीमती गाड़िया यह सब तरक़्क़ी सूद की वजह से नज़र आती है, आदमी सुदी क़र्ज़ नहीं लेगा तो आगे कैसे बढ़ेगा?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
सूद से एक तरक़्क़ी की मिसाल ऐसी है जैसे किसी आदमखोर (आदमी का गोश्त खाने वालो) की बस्ती के लोग को देखे के जिस्मानी ऐतिबार से हट्टे कटते तंदुरस्त और मोटे नज़र आते हो तो उसे देख कर कोई कहे के इन बस्ती वालो ने जिस्मानी ऐतिबार से तरक़्क़ी की है, ऐसा कहने वालों को उस बस्ती के पीछे जो दूसरी बस्ती है वहाँ ले जाया जाये, जहां पूरी बस्ती में इंसान की बगैर गोश्त की हड्डी के ढांचे ही ढांचे ही पड़े हो, जिनको उस आगे की बस्ती वालों ने खा लिया है, तो क्या अब उसका यह खियाल बाक़ी रहेगा के इन्होने तरक़्क़ी की है?
यही हाल दुनिया के सूद खोर मालदारों का है, उन्होंने गरीब को ज़ियादह गरीब कर के तरक़्क़ी की है. चंद मालदार लोगों की तरक़्क़ी को देश की तरक़्क़ी नहीं कहा जा सकता है.
📗माखूज़ अज मारीफुल क़ुरआन. जिल्द १ आयत २७६ की तफ़्सीर से.
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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