Sunday, April 1, 2018

सूद (इंटरेस्ट) हराम होने की हिकमतें

*सूद (इंटरेस्ट) हराम होने की हिकमतें*

⭕आज का सवाल नंबर १३१३⭕

इस्लाम में सूद (इंटरेस्ट) क्यों हराम है? ऐसा हमारे ब'आज गैर मुस्लिम भाई पूछते हैं उनको क्या जवाब दिया जाये ? और ब'आज मुसलमान जिनका आख़िरत पर इमान कमज़ोर है और इसमें फंसे है उनको भी उसके दुनयावी नुक़सानात बताना है ताके वह बचे.
लिहाज़ा उसकी हिकमते और नुक़सानात बताने की गुज़ारिश.

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

*पार्ट १.*

सूद के हराम होने की बहोत सी हिकमतें हैं और उसके शुमार दुनयावी नुक़सानात हैं जिन में से चंद हसबे ज़ैल है.

*१. बिला  मेहनत नफा लेना*
इसमें किसी से नफा (प्रॉफिट) लेने का हक़ नहीं क्यों के पैसे उधार देने वाले की मेहनत नहीं होती, रहन (गिरवी) लेकर देने में रिस्क भी नहीं और देने वाले का पैसा घाटा (लोस्स) बिलकुल नहीं है लिहाज़ा नफा किस चीज़ का?

*२.ज़ुल्म का गुनाह है*
क्यों के अगर किसी ने उधार बीमारी के इलाज या पढ़ाई (एजुकेशन) या ज़िन्दगी गुजारने के ज़रूरी सामन वगैरह ऐसी ज़रूरत के लिए लिया जिसमे उन पैसों से वह कुछ भी रूपया नहीं कमायेगा तो ऐसे शख्स को हमें उन पैसों को मालिक बना कर या अपनी हैसियत के मुताबिक़ उसकी मदद करनी चाहिए यह इंसानियत का तक़ाज़ह है फिर भी उस से नफा लेना उस पर ज़ुल्म है.

*३. बेरहम और सख्त दिली हो जाना*

ऊपर बताया उस तरह की हालत और ज़रूरत में भी उस बिला नफे के उधार न देना उस पर रहम न खाना है और उससे मजबूरी का फ़ायदाः उठा कर फिक्स्ड नफा लेने से दिल सख्त हो जाता है.

*४. गरीब को और गरीब बना देना*
किसी गरीब ने अपनी ग़ुरबत की वजह से अपनी ज़रूरत पूरी करने उधार लिया और उसने कुछ भी न कमाया फिर भी उससे नफा लेना उसको ज़ियादह गरीब बना देना है उसकी चीज़ें बिकवा देना है

*५.खुद गरज़ हो जाना*
उधार और क़र्ज़ मांगने वाले अक्सर रिश्तेदार पडोसी या दोस्त होते हैं उनकी इन ताल्लुक़ की वजह से मदद करनी चाहिए या कम से कम बिला सूद लिए क़र्ज़ः देना चाहिए फिर भी नफा लेना यह खुद गर्ज़ी और मफाद परस्ती और बे शर्मी है.

*६. इंसान की तरक़्क़ी में रुकावट और तिजारत में आगे न बढ़ने देना*
जिस ने कारोबार और धंधे के लिए क़र्ज़ः लिया है उससे देने की तारीख ही से फिक्स्ड नफा लेना उसका खून चूसा (सोसन करना) है क्यों के उसका कारोबार पहले ही दिन से शुरू नहीं हो जायेगा जब शुरू होगा तब शुरू के चंद महीनो ही में वह नफा कमाने वाला नहीं बन जायेगा जब नफा कमाने लगेगा तो यह ज़रूरी नहीं के आप को फिक्स नफा दे उसके बाद भी उसके पास नफा बचेगा उसको कारोबार में नफा नहीं भी मिल सकता है बल्कि नुकसान भी हो सकता है,

इतनी सारी एहतमलात (पॉसिबिलिटीज) और नफा न मिलने की सुरते हैं इसके बा वजूद उसको पहले दिन और हर माहिने नफा न मिले फिर भी उससे हर दिन का फिक्स्ड नफा लेना यह अक्ल और हिसाब के भी खिलाफ है वह सूद चुकाने में ही कारोबार छोड़ देगा और ताजिर (बिजनेसमैन) के बजाये मज़दूर बन जायेगा.

(बाक़ी ६ कल इंशा'अल्लाह) 

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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