*शबे मेअराज की हक़ीक़त*
⭕आज का सवाल नंबर १३२१⭕
शबे मेअराज की क्या फ़ज़ीलत है?उस में क्या इबादत करनी चाहिए?
🔵आज का जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
२७ रजब की शब् के बारे में यह मशहूर हो गया है के यह शब्-ए-मेअराज है और इस शब् (रात) को भी उसी तरह गुज़ारना चाहिए जिस तरह शब् ए क़द्र गुज़री जाती है और जो फ़ज़ीलत शबे ए क़द्र की है कमो बेष शब् ए मेराज की वही फ़ज़ीलत समझी जाती है
बल्कि मेने तो एक जगह यह लिखा हुवा देखा के शबे मेअराज की फ़ज़ीलत शबे क़द्र से भी ज़ियादह है. और फिर उस रात में लोगो का नमाज़ो के भी ख़ास ख़ास तरीके मशहूर कर दिए के उस रात में इतनी रकाते पढ़ी जाएँ और हर रकअत में फुलां फुलां ख़ास सूरतें पढ़ी जाएँ.
खुदा जाने क्या क्या तफ्सीलात इस नमाज़ के बारे में लोगो में मशहूर हो गयी.
खूब समझ लीजिए यह सब बे असल बातें हैं, शरीअत में इनकी कोई असल और कोई बुनियाद नहीं.
*शब्-ए-मेराज की ता’ईंद में इख़्तेलाफ़*
सब से पहली बात तो यह है के २७ रजब के बारे में यक़ीनी तौर पर नहीं कहा जा सकता के यह वही रात है जिसमे नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेअराज पर तशरीफ़ ले गए थे क्यों के इस बाब में मुख्तलिफ रिवायतें हैं.
बा'आज रिवायतों से मालुम होता है के आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रबी उल अव्वल में तशरीफ़ ले गए थे बा'आज रिवायतों में रजब का ज़िक्र है और बा'आज रिवायतों में कोई और महीना बयान किया गया है.
इसलिए पूरे यक़ीन के साथ नहीं कहा का सकता के कोनसी रात सहीह में मेअराज की रात थी जिसमे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेअराज तशरीफ़ ले गए.
*वाक़िअ ए मेअराज की तारीख क्यों मेहफ़ूज़ नहीं?*
इस से आप खुद अंदाज़ा करलें के अगर शब् ए मेअराज भी शब् ए क़द्र की तरह कोई मख़सूस रात होती और उसके बारे में कोई ख़ास अहकाम होते जिस तरह शब् ए क़द्र के बारे में है तो उस तारीख और महीना मेहफ़ूज़ रखने का एहतमाम किया जाता. लेकिन चूंकि इस तारीख को महफूज़ रखने का एहतेमाम नहीं किया गया तो अब यक़ीनी तौर से २७ रजब को शब् ए मेअराज क़रार देना दुरुस्त नहीं.
*बाक़ी कल इंशा'अल्लाह*
📗शैखुल इस्लाम हज़रात मुफ़्ती तकि उस्मानी दाब. के इस्लाही ख़ुत्बात के बयांन का खुलासा.
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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