*दूसरी & तीसरी रकत में शक*
⭕ आज का सवाल नो.१२८९⭕
नमाज़ में इस बात का शक हुवा के यह दूसरी रकत है या तीसरी रकत है तो क्या हुक्म है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
अगर ये शक ज़िदगी में पहली मर्तबा हुवा है यानी शक की आदत नहीं तो नमाज़ दो बारह पढ़े.
अगर ऐसा इत्तिफ़ाक़ होता रहता है तो गौर व फ़िक्र करे के कितनी रकत हुयी होगी, दिल का ज़ियादह मिलन किस तरफ है ?
मसलन गौर व फ़िक्र के बाद दिल दो रकत की तरफ माइल हो गया तो दो रकत ही समझे और सजदह ए साहव वाजिब नहीं.
अगर ३ रकत की तरफ दिल माइल हुवा तो पहले कदह में ताख़ीर होने की वजह से सजदह ए साहव अदा करे.
अगर दिल का मिलन किसी तरफ भी न हो दिल में दोनों बात एक् (बराबर बराबर) आती है, दो हुयी होगी या तीन? कंफुसन ख़त्म न हो तो कम रकत यानि २ ही हुयी होगी ऐसा समझे क्यों के दो होना यक़ीनी है और सजदह ए साहव करे.
📗बहिश्ती समर से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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