Tuesday, March 13, 2018

मंगनी की दावत का हुक्म

*मंगनी की दावत का हुक्म*

⭕आज का सवाल नो. १२९२⭕

शरीअत में मंगनी किसे कहते हैं? मंगनी कैसी होनी चाहिए? अब हमारे इलाक़े में मगनियाँ भी शादी की तरह होने लगी हैं बड़ी बड़ी दावतें होती है मर्दों और औरतों की हाज़री होती है इसका क्या हुक्म है?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

शरीअत में एक फ़रीक़ की जानिब से दूसरे फ़रीक़ (पार्टी) के सामने निकाह की तजवीज़ (पुख्तः इरादा) रखे जाने को मगनी कहा जाता है, जब फ़रीक़े सानी (दूसरी पार्टी) उस तजवीज़ को मंज़ूर कर लेता है तो मगनी का अमल मुकम्मल हो जाता है, शरीअत की निगाह में इसकी हैसियत एक वादे की है किसी उज्रे शरई के बगैर तोडना गुनाह है,

हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु फरमाते है के हज़रात फ़ातिमाः रदियल्लाहु अन्हा के लिए पैगामे निकाह लेकर में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुवा जब आप के सामने बैठा तो खामोश हो गया, खुदा की क़सम में रोअब और जलाल की वजह से कुछ बोल न सका. खुद आप  ने दरयाफ़त किया के कैसे आये हो? क्या कोई काम है! में खामोश रहा तब आप  ने फ़रमाया शायद फ़ातिमाः की मगनी के लिए आये हो? मेने अर्ज़ किया जी हाँ.

📗(अल बिदायह वन निहाया ३/३४६)

जिसे  अल्लाह की इजाज़त से क़बूल फरमा लिया गया बस ज़ुबानी तौर पर सब कुछ तय हो गया, न लोग इकठ्ठा हुवे और न कोई ऐहतमाम हुवा.

📗मुआशरती. मसाइल सफा ७५

लिहाज़ा मंगनी के किये सबको जमा करना बड़ी ता'अदद में मर्दों औरतों की हाज़री उनकी दावत वगैरह शर'न ज़रूरी और पसन्दीदाह नहीं, बल्कि ख़वातीन (औरतों) की मावजूदगी जिन खराबियों को पैदा करती है वह लोग जानते ही हैं इस से बचना ज़रूरी है.

📕मंगनी शादी के मुताल्लिक़ पेश आनेवाले मसाइल का हल सफा १३

🖋अज क़लम पिरो मुर्शिद हज़रत अक़दस मुफ़्ती अहमद खानपुरी साहब दा ब

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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