*किन क़र्ज़ों को ज़कात के हिसाब में माइनस (बाद) करेंगे?*
⭕आज का सवाल नंबर १३४५⭕
ताजिर हज़रात तिजारत को तरक़्क़ी देने बैंक से बड़ी बड़ी लोन लाखो और करोड़ों रुपये की लेते है, ज़कात का हिसाब करेंगे तो ये क़र्ज़ः भी मिन्हा-माइनस करेंगे?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
क़र्ज़ों की दो क़िस्मे है, एक वह क़र्ज़े जो ताजिर अपनी जाती और हंगामी-टेम्परेरी ज़रुरत के लिए लेता है, वह क़र्ज़े ज़कात के हिसाब में से माइनस-मिन्हा किये जायेंगे, उन पर जकात वाजिब नहीं होगी.
दूसरी क़िस्म के वह क़र्ज़े है जो ताजिर तिजारत को अपनी असली ज़रुरत पूरी होने के बावजूद ज़यादा तरक़्क़ी देने लेता है, मसलन बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां लगाने, बड़ी बड़ी मशनरी खरीदने. माल इम्पोर्ट करने लेता है, इन बडे क़र्ज़ों को अगर उन की ज़कात के हिसाब से माइनस किये जाये तो उन बड़े ताजिर पर ज़कात ही वाजिब नहीं होगी, बल्कि वह मुस्तहिके ज़कात हो जायेंगे, इसलिए इन बड़े क़र्ज़ों में देखा जायेगा के इस से कोन सी चीज़ें खरीदी जा रही है, अगर ऐसी चीज़ है जो न क़ाबिले ज़कात है, मसलन एक करोड़ की प्लांट-मशीनरी खरीदी तो इन मशीनरी पर ज़कात वाजिब नहीं होती इस के बावजूद ये क़र्ज़ः ज़कात के हिसाब से मिन्हा-माइनस नहीं करेंगे. अगर उस ने कच्चा माल खरीदा तो इसलिए के कच्चा माल-मटीरियल पर ज़कात वाजिब होती ही है इसलिए उस के क़र्ज़े को मिन्हा-माइनस करेंगे
📘फ़िक़्ही मक़ालत जिल्द ३ सफा १५६.
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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