*सफर में किस की निय्यत का ऐतिबार*
⭕आज का सवाल नंबर १४९२⭕
हमारी सुरत की मुसाफिर जमात को बिहार एक शहर में ४० दिन का रुख दिया गया है।
कभी इमाम साहब नहीं होते तो मुझे वहां की मस्जिदवाले नमाज़ पढ़ाने की दरख़ास्त करते है।
तो हमारे अमीर साहब मुझे ज़ोहर, असर, ईशा की नमाज़ जिस में कसर होती है मना करते है, के हम मुसाफिर है।
मेने मुक़ीम की निय्यत नहीं की है।
तो क्या हम अमीर की निय्यत के ताबे हो कर मुसाफिर समझे जायेंगे ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
मजकूरह सुरत में आप की जमात मुक़ीम हो गई।
आप जमाअत के उस अमीर की निय्यत के ताबे नहीं होंगे बल्के आप की पुरी जमाअत बिहार के उस शहर के अमीर, या मशवरा के फेसल के ताबे होगी।
आप के अमीर साहब ने मुसाफिर की निय्यत की है उसका ऐतिबार न होगा।
📘किताबुल मसाइल १/५५८
📗आलमगीरी १/१३९ से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
🗓 *इस्लामी तारिख* : ११ मुहर्रमुल हराम १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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