*इस्लामी नया साल में क्या करे*
⭕आज का सवाल नंबर १४७९⭕
अभी इस्लामी नया साल १४४० आने वाला है नए साल की ख़ुशी में हमें क्या करना चाहिए?
कया एक दूसरे को मुबारकबादी और दुआ दे सकते है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
इस्लाम एक सादगी वाला दीन है, उस में ग़ैर क़ौम की नक़्क़ाली हो ऐसी बातों से एहतियात करने की तालीम है। और दिन मानाने की रस्म न होना ये उस का मिज़ाज है।
इसीलिये हिज़री तारीख की शुरूआत हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु के दौर से शुरू होने के बावजूद हज़रत उस्मान, हज़रत अली वग़ैरह सहाबा रदियल्लाहु अन्हुम से इस बारे में कोई खास अमल साबित नहीं।
अल्बत्ताह एक दुआ पढ़ना साबित है,
उस दिन दुआ पढ़ लेना चाहिए। वह दुआ ये है
الھم ادخلہ علینا بالامن والایمان و السلامت و الاسلام و رضوان من الرحمان و جوار من الشیطان
अल्लाहुम्मा अद्खिलहु अलैना बिल अमनी वल ईमान वस् सलामति वल इस्लाम व रिज़वानीम मीनररहमान व जिवारिम मिनाशशैतान।
📗अल मुअजमाऊल अवसात)
और एक दूसरे को दुआ देना और नयी चीज़ की मुबारकबादी देने में भी कोई हरज नहीं, जाइज़ है, मुबारकबादी देना भी बरक़त की दुआ ही है, लेकिन सुन्नत से साबित नहि।
उस के लिए कोई खास अलफ़ाज़ भी साबित नहीं।
लिहाज़ा ग़ैरों की मुशाबेहत न हो इसलिए न इस में ख़ुशी मनाई जाए, न पार्टी दी जाए, ना रौशनी की जाये।
ईसी तरह अलफ़ाज़ को खास किये बगैर मुबारकबादी भी दे सकते है, और दुआ माँगना और देना हर अचछे मोके पर ये इस्लाम में पसन्दीदाह है।
📗 अल मुवासतुल फिकहिययह १४/१००,
📄ऑनलाइन फ़तवा दारुल उलूम देवबन्द से माखूज़ इज़ाफ़ों के साथ
✅ तस्दीक़
१। मुफ़्ती जुनैद इमामो ख़तीब मसजिसे नूर कलाबा मुम्बई
२। मुफ़्ती फ़रीद कावी जम्बुसर
३। मौलाना सालिम मेमिओं गोरगांव
و الله اعلم بالصواب
🌙 *इस्लामी तारिख* : २८ ज़ुल हिज्जः १४३९ हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
📲https://aajkasawal.page.tl/HAJ_QURBANI.htm
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