🍜 *मुहर्रम में खिचड़ा ही पकाना*
⭕आज का सवाल नंबर १४८७⭕
कया फ़रमाते हैं उलेमा ए किराम इस बारे में के मुहर्रम में खिचड़ा ही पकाया जाए ?
खीचड़े के सबूत के तौर पैर बयान किया जाता है के नूह علیہ السلام की कश्ती आशूरह के दिन जुडी पहाड पर ठहरि तो उन्होंने बतौरे शुकराना खिचड़ा पकाया था इसलिए हम भी पकाते है।
इस रिवायात का क्या हुक्म है?
बरेलवी रज़ाखानी और देवबंद के माने हुवे हवाले से जवाब देने की गुज़ारीश।
🔵जवाब🔵
حامد و مصلیا و مسلما
हज़रात नूह علیہ السلام की कश्ती ने तूफान से नजात पायी और जुडी पहाड़ पर ठहरी, नूह علیہ السلام ने बतौरे शुकराना कश्ती में मौजुद ७ क़िस्म के गल्लो (अनाज) का हबूब (खिचड़ा) बनया।
इस रिवायात को भी देवबंदी व बरेलवी उलमा के सरताज हज़रत मौलाना शाह अब्दुल हक़ महदीसे देहल्वी रहमतुल्लाहि अलय्हि ने मौज़ूअ (बनावटी) क़रार दिया है।
📚मा सबत बिस सुन्नह १६/६
मौज़ूअ (बनावटी) हदीस की मिसाल देते हुवे फ़रमाते हैं के
क फीस सलाति वल इख्तिहालि, व तबख्खील हुबूबी व ज़ालिक कुल्लहू मवज़ूउन व मुफ़्तरा
जैसे नमाज़ की फ़ज़ीलत, सुरमा डालने की और खिचड़ा पकाने की और इसके अलावा तमाम फ़ज़ीलत मौज़ूआ और ईफ्टरा (बोहतान) है,
📚बरेलवी और उलेमा ए देवबंद की मानी हुयी किताब *मा सबत बिस सुन्नह*
सफ़ा १७
लिहाज़ा खिचड़ा ही पकङा ज़रूरी नाहि।
*अहलो अयाल को पसंद हो वह ही पकाना चाहिए। उस दिन अहलो अयाल पर वुस'अट (कुछ ज़ियादह) खर्च करने की फ़ज़ीलत मुफ्त में तक़सीम होने वाले खीचड़े की वजह से ब'अजों की छुत जाती है।
و الله اعلم بالصواب
📆इस्लामी तारीख ६ मुहर्रम १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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Aapko kese pta ye sab kha pe likha hua hai ye
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