Tuesday, September 18, 2018

एक रोज़ह रखने और बगैर सहरी के रोज़ह का हुकम

एक रोज़ह रखने और बगैर सहरी के रोज़ह का हुकम

🔴आज  का सवाल नंबर १४८८🔴

⭕आशुरह के रोज़ह की क्या फ़ज़ीलत है ?

⭕रोज़ा कोन से दिन रखना है ?

⭕एक रोज़ह रख सकते हैं ?

⭕बगैर सहरी का रोज़ह रख सकते हैं ?

⭕आशुरह के रोज़ह के साथ क़ज़ा की निय्यत करने का क्या हुक्म है ?

🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
आशुरह का रोज़ह रखने से गुज़िश्ता एक साल के सगीरह गुनाह मुआफ हो जाते हैं।

दो रोज़े न रख सकते हो तो एक रोज़ह रखना भी जायज़ है, लेकिन मुनासिब नहीं है।

हज़. मौलाना मंज़ूर नौमानी रह. फरमाते थे के यहूदियों की तारीख का टाइम टेबल अब अलग है, लिहाज़ा अब मुशाबहत, खराबी मेरे ख़याल में बाक़ी नहीं रही।

एक रोज़ह रख सकते हैं लेकिन एक रोज़ह रखना मकरूहे तंज़ीही है लेकिन उस एक रोज़ह का सवाब तो मिलेगा ।

📗फतावा महमूदियाः जिल्द।१० सफह १९३ दाभेल बा हवाला मारकियूल फ़लाह ६४० व आलमगीरी १/२०२ से माखूज

बगैर सहरी के आशूरह का और नफिल रोज़ह रख सकते है। लेकिन सहरी की सुन्नत छूट जाएगी।

आशुरह के रोज़ह के साथ अगर क़ज़ा की निय्यत करे तो असल तो क़ज़ा रोज़ा ही अदा होगा। आशूरह की फ़ज़ीलत मिलने के बारे में इख्तिलाफ है। बाज़ उलमा कहते है उस दिन रोज़े के एहतमाम की वजह से उम्मीद है के आशुरह की फ़ज़ीलत भी मिल जाएगी।

सूबह सादिक़ के बाद रोज़ह को तोड़नेवाली चीज़ पैश न आयी हो तो ज़वाल से पहले निय्यत कर सकते है।

📗 फ़तवा रहीमिया और किताबुल फतावा
📘फ़तवा कास्मिया 21/396

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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