Monday, September 10, 2018

मुहर्रम की नवमी और दसवी के रोज़ह की बे इन्तिहा फ़ज़ीलत

*मुहर्रम की नवमी और दसवी के रोज़ह की बे इन्तिहा फ़ज़ीलत*

⭕आज का सवाल नंबर १४७८⭕

वाहट्सएप्प पर एक रिवायात वायरल हुयी है के जिसने मुहर्रम की नवमी, दसवी को रोज़ह रखा उसे १००० हज्ज, १००० उमरा और १००० शहीदों का सवाब मिलेगा और उसके एक साल के गुनाह मुआफ होंगे और दो साल की इबादत का सवाब मिलेगा
और जो ये दूसरे को भेजेगा उसे ८० साल की इबादत का सवाब मिलेंगा।

कया यह रिवायात सहीह है?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

इतनी बड़ी फ़ज़ीलत तो रमजान के फ़र्ज़ रोज़ह की भी वारिद नहीं हुयी है। हालां के फ़र्ज़ का सवाब नफ़्ल से बहुत ही ज़ियादह होता है।

और दुसरों को सिर्फ भेजने में ८० साल की इबादत का सवाब मिल जायेगा, ऐसा भेजने और बताने का सवाब भी किसी भी इबादत के बारे में मोअतबर रिवायात में वारिद नहीं हुवा है, और यह रिवायात किसी भी सहीह या ज़ईफ़ अहादीस की किताबों में मव्जूद नही।

लिहाज़ा यह रिवायात मव्जूआ (बनावटी) है। इसे आगे भेजने दुसरों को इस की यह फ़ज़ीलत बताना भी जाइज़ नहीं। ऐसा आदमी सख्त गुनेहगार है।

و الله اعلم بالصواب

*इस्लामी तारिख* : २७ ज़ुल हिज्जः १४३९ हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

📲https://aajkasawal.page.tl/HAJ_QURBANI.htm

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