*एक ज़िले के मुख़्तलिफ़ देहातों में चिल्ला लगाने वालों का हुक्म*
⭕आज का सवाल नंबर १४७५⭕
सूरत ज़िले के मुख़्तलिफ़ देहातों में हमारी जमाअत को वक़्त लगाने का इस तरह मशवरा से कहा गया के हर देहात में हफ्ता लगाना है,
मसलन बारडोली गांव में हफ्ता, फिर वांकानेर में हफ्ता, फिर वालोद में हफ्ता।
इस तरह सुरत ज़िले के हर देहात में हफ्ता लगाने का फैसला हुवा,
एक देहात से दूसरे दिहात में जाने का फ़ासला मुसाफ़ाते सफर से कम है।
तो हम इन देहातों में मुक़ीम कहलाएँगे या मुसाफिर?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
मजकूरह जमाअत पूरा चिल्ला सुरत ज़िले में मुसाफिर ही रहेगी, मुक़ीम बनने की शरत एक ही जगह (शहर या देहात) में १५ दिन ठहरने की शरत इस जमाअत के हक़ मे पायी नहीं गयी।
📘फतावा कस्मिया८/६८१
📗इम्दादुल फ़तावा १/५९३ से मुस्तफद
و الله اعلم بالصواب
*इस्लामी तारिख* :२४ ज़ुल हिज्जः १४३९ हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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