*नजात के लिए रिसालत पर पूरा इमान शर्त*
⭕आज का सवाल नो.१२२९⭕
जो शख्स अल्लाह को माने और हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को आखरी नबी न माने, जैसे के यहूदी नसारा (क्रिस्चियन) क़ादियानी और बा'आज हिन्दू उनकी नजात होगी या नहीं ?
क्यों के हदीस में आता है के जिसके दिल में राय के दाने के बराबर भी इमान होगा वह जन्नत में जायेगा.
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
हमेशा की नजात के लिए इमान शर्त है और कुफ्र और शिर्क का गुनाह मुआफ नहीं होगा, हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के नबी होने और आखरी नबी होने की शहादत (गवाही) खुद अल्लाह ने दी है, तो अल्लाह ता'अला को सहीह तौर पर मानना उसी वक़्त कहा जायेगा जब अल्लाह की गवाही को माने, जो हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को आखरी नबी नहीं मानता, उन पर इमान नहीं लाता, वह अल्लाह की गवाही को झुठलाता है और इंकार करता है, ऐसा आदमी अल्लाह को मानने वाला नहीं, जन्नत में जाने के लिए हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को मानना और उनके दीन को क़ुबूल करना ज़रूरी है, वही मुस्लमान है, गैर मुस्लिम की नजात नहीं होगी.
📗आप के मसाइल और उन का हल जिल्द १ सफा ४३.
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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