Saturday, January 20, 2018

अल्लाह का अर्श पर होने वगैरह के बारे में अक़ीदा

*अल्लाह का अर्श पर होने वगैरह के बारे में अक़ीदा*

⭕आज का सवाल न.१२४१⭕

क्या कहते अहले सुन्नत देवबंदी उलमा अल्लाह ताला के इस क़िस्म के क़ौल के रहमान अर्श पर मुस्तवि हुवा -बैठा, अल्लाह का हाथ वगैरह, इंसानी अमल और आ'ज़ा के बारे में ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

इस क़िस्म की आयत में हमारा मज़हब ये है के इन पर इमान लाते हैं और कैफियत से बहस नहीं करते, यक़ीनी तौर पर जानते है के अल्लाह ताला मख्लूक़ के अवसाफ (उठना बैठना चलना फिरना वगैरह) अवसाफ से पाक है, यानि अल्लाह का अर्श पर बैठना तो मानते है लेकिन वह किस तरह बैठते है, बैठने के लिए जिस्म चाहिए, अल्लाह जिस्म से पाक है, लिहाज़ा बैठने का क्या तरीकाः और उस की कया हालत होती है उस से हम बहस नहीं करते,  जिस तरह अल्लाह की शान के मुनासिब है बैठते है. ये हमारे मुतक़द्दिमें (छठी सदी तक के उलमा) की राय है और हमारे मुतअख़्ख़िरीन ने उन अल्फ़ाज़ की सहीह लुग़त- डिक्शनरी मा'ने को देखते हुवे उस की तवील -मुनासिब मतलब निकाला है, ताके कम समझ रखने वाले लोग भी समझ सके और यूँ कहा के अर्श पर बैठने से मुराद अल्लाह का ग़ालिब आना है, और अल्लाह का हस्त से मुराद उस की मदद है, अल्लाह के चेहरे से मुराद उस की इज़्ज़त है, ये मायने भी सहीह है लेकिन अल्लाह के लिए जगा सिम्त दिशा और मकान ठहराना सहीह नहीं, अल्लाह इन ख़त्म हो जाने वाली चीज़ों से पाक है

📘अक़ाइदे उलमा देवबंद सफा १८.

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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