Sunday, March 19, 2017

मस्जिद में  दुनयावी  बात

*मस्जिद में  दुनयावी  बात*

⭕आज  का  सवाल  नंबर .९५४⭕

मस्जिद  में  दुनयावी  बातें  करना  केसा  है ?

🔵आज  का  जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

जो  बातें  मस्जिद  के  बाहर  मुबाह  और  जाइज़  है  वह  भी  मस्जिद  में  ना  जाइज़  है  और  वह  बातें  जो  मस्जिद  से  बाहर  ना जाइज़ है  वह  मस्जिद  में  सख्त  हराम  है,
फत्हुल  क़दीर  में लिखा  है  के  मस्जिद  में  दुनिया  की  बातें  नेकियों  को  इस  तरह  खा  लेती  है  जिस  तरह  आग  सुखी  लकड़ियों  को  खा  लेती  है. और  खजानतुल फुक़हा  में  लिखा  है  के  जो  शख्स  मस्जिद  में  दुनयावी  बातें  करता  है  अल्लाह ताला  उस  के  ४०  चालीस  दिन  के  आमाल  हब्त -ख़त्म  कर  देता  है  (अल  अशबाह)

अगर  बातें  करने  की  गरज़  से  मस्जिद  में  ना  बैठे, बल्कि  इत्तिफ़ाक़ी  तौर  पर  दुनिया  की  कोई  ज़रूरी  बात  आहिस्ता  कह  दे  तो  कोई  हरज नहीं  है  लेकिन  अबला और  बेहतर  यही  है  के  इस  से   भी  बचे  जैसे  के  सहाबा ए किराम  और  सल्फे सालिहीन -अगले  बुज़ुर्गों  का  मामूल  था.
हज़रत  खलफ رضی اللہ عنہ मस्जिद  में  बैठे  थे, उन का  गुलाम  आया  और  कुछ  दुनयावी  बातें  पूछने  लगा  आप  वहां  से  उठ  कर  मस्जिद  से  बहार  आ  गए   और  फिर  जवाब  दिया.

📕आदबुल मस्जिद सफा ३८
हज़रत मुफ़्ती  शफी  रहमतुल्लाह की.

 
و اللہ اعلم

✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया

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