*पाँच वुजुहात की बिना पर*
*रोज़ा न रखने की इजाज़त है।⭕*आज का सवाल नो.1033⭕
शरीअत मे किन वुजूहत की वजह से रोज़ न रखने की इजाज़त है?
🔵आज का जवाब🔵
नीचे दी गई पांच वुजूहात की वजह से रोज़ा न रखने की इजाज़त है
1) *मर्ज़*=(बिमारी)
जिसकी वजह से रोज़ा रखने की ताक़त न हो। या रोज़ा रखने से बिमारी बढ़ जाने का अंदेशा हो।
(बिमारी खतम होने के बाद क़ज़ा करना ज़रूरी)
2) *मुसाफिर*=
शरई मुसाफिर। जिसकी कम से कम सफर की मिक़दार 77.50km है।
(मुक़ीम होने के बाद क़ज़ा करना ज़रूरी)
*नोट* सफरे शरईमें रोज़ा न रखने की इजाज़त तो है लेकिन अगर रोज़ा रखने में ज़्यादा तकलीफ न हो तो रोज़ा रखना बेहतर है।
3) *बुढ़ापा*=
ऐसा बूढ़ा कमज़ोर (बूढ़ा/बुढ़िया) जो रोज़ा न रख सकते हो और वो रोज़े के बदले फिदया 1कि.750ग्राम गरीब को दे।
(लेकिन अगर अल्लाह सेहत दे तो क़ज़ा करना ज़रूरी है।)
4) *हामिला*/ *दूध पिलाने वाली*=
जिनको रोज़ा रखने से अपनी जान या बच्चे को तकलीफ पहुँचने का अंदेशा हो।
(बाद में क़ज़ा करना ज़रूरी है)
5) *हैज़ व निफ़ास*=
हाईज़ा व निफ़ाज़ वाली औरतों के लिये रोज़ा रखना दुरुस्त नहीं।
अगर रख ले तो रोज़ा अदा न होगा। और ये गुनहगार होगी।
(पाक होने के बाद रोज़ों की क़ज़ा करना ज़रूरी है।)
📘फतावा रहीमिया 7/270
✏तसदीक़ इमरान इस्माइल मेमन
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