*इस्तिंजा करने से रोज़ह टूटने की सूरत का हुक्म*
*बवासीर पर दवाई लगाना*
⭕आज का सवाल १०३१⭕
अ.
क्या बड़ा इस्तिंजा करते वक़्त साँस ना रोका जाये तो पाखाने के मक़ाम से पानी पेट में पहोंच जाता है?
बिला साँस रोके हम आम तौर पर इस्तिंजा करते है उस से रोज़ह टूट जाता है?
ब.
बवासीर-मस्से-पाइल्स पर दवाई लगाने से रोज़ह टूट जायेगा?
🔵जवाब🔵
अ
पाखाने से मक़ाम पर पानी ऐसे ही पहोंचने की कोशिश किये बगैर नहीं पहुंचता है, क्यों के हुकनाह की जगह जहां से पिचकारी के ज़रिये दवाई पहुचायी जाती थी वह थोड़ा अंदर आंत-होजड़ी से मिला हुवा होता है वहां पानी पहुंचे तो ही रोज़ह टूटता है. किसी को कांच (पिच्छी की जगा से गोल लाल हिस्साः निकल आना ) निकल आया हो तो उस के बारे में तहवी में मसला लिखा है के पाखाने के जगह से जाइड पानी झाड़ दिया जाये फिर उस पर पानी की तरी लगी होती है उस को कपडे से पोंछना वाजिब नहीं, अगर वह कांच जिस पर मामूली तरी हो अंदर चले जाये तो रोज़ह नहीं टूटेगा.
इस से मालूम हुवा के इस्तिंजा करने के बाद जो तरी सुराख पर लगी होती है उस के अंदर चले जाने से भी रोज़ह नहीं टूटता. लिहाज़ा साँस रोकने का तकल्लुफ करना फ़ुज़ूल है.
📗फ्तवक्कल कास्मियाह ११/५०२ बा हवाला
📘फतवा रशिदियाह क़दीम
४५९ जदीद ४४५
📙तहतवी जदीद ६७६ क़दीम ३८०
ब.
यही हुक्म बवासीर का है उस के बहार के मस्सों पर दवाई हाथ से लगाई जाये किसी आले-चीज़ से अंदर न लगाई जाये तो रोज़ह फ़ासिद नहि होगा.
📕फतवा दारुल उलूम देवबंद.
६/४११
मसाइल रमजान व अहकामे सदक़ह साफा ९६
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
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