*एतिकाफ की क़िस्में & औरतों का एतिकाफ*
🔴आज का सवाल नंबर १०४०🔴
औरतों को एतिकाफ करने का क्या तरीक़ा है ?
ऐतिकाफ की कितनी क़िस्में है ?
🔵जवाब🔵
औरत को अपने घर की मस्जिद में एतेकाफ़ करना चाहिए,
अगर घर में कोई जगह मस्जिद के लिए मुतय्यन न हो तो कोई कोने (कॉर्नर) को मख़सूस (तय) कर दें, किसी जगा को तय किये बगैर एतिकाफ सहीह नहीं होगा
औरतों के लिए ऐतिकाफ बा-निस्बत मर्दों के ज़ियादा सहल (आसान, इजी) है के घर में बैठे बैठे घर का कारोबार भी घर की लड़कियों से लेती रहे और मुफ्त का सवाब भी लेती रहे.
मगर इसके बावजूद भी औरतें इस सुन्नत से गोया बिलकुल ही महरूम रहती है,
हनफिययाह के नज़दीक एतेकाफ़ की तीन ३ सूरतें है,
१. वाजिब जो किसी मन्नत या नज़र की वजह से हो, जैसे यूँ कहे के मेरा फुलां काम हो गया तो इतने दिन का एतेकाफ़ करूँगा, या बगैर किसी काम पर मौक़ूफ़ रखने के यूँ कहे के मैंने इतने दिन का एतेकाफ़ अपने ऊपर लाज़िम कर लिया तो ये वाजिब है, और जितने दिनों की निय्यत की है उतना पूरा करना वाजिब है.
2. दूसरी सूरत एतेकाफ़ की सुन्नत है, जो रमज़ानुल मुबारक के आखरी अशरे-दस दिन का है के नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आदते शरीफा इन दिनों के एतेकाफ़ फरमाने की थी,
3. तीसरा नफ़्ल एतेकाफ़, जिसके लिए न कोई वक़्त, न दिनों की मिक़्दार, जितना जी चाहे कर लें, हत्ता के कोई शख्स तमाम उम्र का एतेकाफ़ की निय्यत कर लें तब भी जाएज़ है,
इमाम मुहम्मद रह. के नज़दीक थोड़ी देर का भी जाइज़ है, और इसी पर फतवा है, इस लिए हर शख्स को मुनासिब है के जब मस्जिद में दाखिल हो औरत नमाज़ की मुतय्यन जगा पर आये एतेकाफ़ ki निय्यकी कर लिया करे, के जितनी देर नमाज़ वगैरह में मशगूल रहे एतेकाफ़ का सवाब भी मिलता है.
📗मसाइले एतिकाफ
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
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