*एतकाफ में जुमा का हुक्म & ममनूआत *
🔴आज का सवाल नंबर १०४१ 🔴
अ. एतकाफ जिस मस्जिद में किया हो वहां जुमा न होता हो तो जुमा पढ़ने के बारे में क्या मसाइल है?
ब. एतेकाफ़ में किन चीज़ों से बचना चाहिए?
🔵जवाब🔵
अ.
जिस मस्जिद में मुआतकिफ़ हे अगर वह जुमा की नमाज़ नहीं होती हो तो नमाज़े जुमा के लिए जामा मस्जिद यानि जहाँ जुमा होती हो वहां जाना भी दुरुस्त हे, मगर ऐसे वक़्त में जाये के वह जाकर तहियतुल मस्जिद और सुन्नत पढ़ सके, और नमाज़े जुमाह से फारिग होकर फ़ौरन अपनी मस्जिद में वापस आ जाये,
ब.
अगर भूले से भी अपनी मस्जिद से निकल गया तो भी एतेकाफ़ टूट गया,
एतेकाफ़ में बे-ज़रुरत दुनियावी कामो में मशगूल होना मकरूहे तहरीमी हे, मसलन बे-ज़रुरत खरीद फरोख्त करना,
(अगर गरीब आदमी हे के घर में खाने को कुछ नहीं तो उस के इंतिज़ाम में एतेकाफ़ में भी खरीद फरोख्त कर सकता हे),
मगर बेचने का सामान मस्जिद में लाना जाइज़ नहीं,
हालते एतेकाफ़ में बिलकुल चुप बैठना दुरुस्त नहीं,, हां अगर ज़िक्र, तिलावत वगेरा करते करते थक जाये तो आराम की नियत से चुप बैठना सहीह हे,
रमजान मुबारक के १० दिन एतेकाफ़ करने के लिए ज़रूरी हे के २० वि इस्लामी तारिख को सूरज ग़ुरूब होने से पहले मस्जिद में एतेकाफ़ की निय्यत से दाखिल हो जाये क्युकी २० वि तारिख का सूरज ग़ुरूब होते ही आखरी अशरा शुरू हो जाता हे,
⇨ अगर सूरज ग़ुरूब होने के बाद चाँद लम्हे भी एतेकाफ़ की नियत के बगैर गुज़र गए तो एतेकाफ़ मस्नून न होगा बल्कि नफली एतिकाफ हो जायेगा
📗आपके मसाइल और उनका हल,३/३२२
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
📱💻
No comments:
Post a Comment