*जन गण मन पढ़ने का हुक्म*
🔴आज का सवाल नंबर १४४९🔴
१५ अगस्त या २६ जनवरी के मौक़े पर अपने देश से मोहब्बतो-अक़ीदत के इज़हार के लिए *"जन गण मन"* या इस जैसे दूसरे राष्ट्रीय तराने या गीत पढ़ना कैसा है?
🔵जवाब🔵
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हर ऐसी नज़्म (कविता) तराना या गीत जिसमें कुफ्रो-शिर्क वाले अल्फाज़ हों, ऐसे तरानों, गीत या नज़्म का पढ़ना जायज़ नहीं है,
फिर जिस कविता या शेरो-शायरी में किसी की बुराई बयान की जाए, या खामखा की तारीफ की जाए तो वह गीत या तराने चाहे राष्ट्रीय हों या गैर राष्ट्रीय, उनका पढ़ना भी सही नहीं है।
हां वैसे जिस गीत या तराने में कुफरिय्या शिरकिय्या अल्फाज़ न हों, ऐसे ही उसमें झूठ, किसी की बुराई या झूटी तारीफ न हों तो उसका पढ़ना जायज़ है।
*और "जन गण मन" तराने में ऐसे अल्फाज़ नहीं हैं। जिन्हें शिर्क कहा जाए, लिहाजा इसे पढना दुरुस्त है।*
📘शामी 2/433) सूरह-शुअरा 224) तफसीर नसफी 2/588)
📙आपके मसाइल और उनका हल 8/488
و الله اعلم بالصواب
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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जन गण पड़ना सही कैसे हैं जरा तफसीर से हमें बताऐ
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