*क़ुरबानी किस पर वाजिब नहीं*
⭕आज का सवाल नंबर. १४३५⭕
क़ुरबानी किस पर वाजिब नहीं?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
क़ुरबानी के दिन १० ज़िल हिज्जः की सुबह सादिक़ से लेकर १२ वि ज़िल हिज्जः की गुरुबे आफ़ताब तक के वक़्त में, जो नाबालिग़, मुसाफिर {अपने गांव-शहर की बॉर्डर से ७७.२५ किलो मीटर दूर सफर में हो, और एक शहर या गांव में १५ दिन से कम ठहरने की निय्यत हो वह मुसाफिर है}
और गरीब यानि जिस की मिलकियत में साडे बावन तोला चांदी जिस की आज १९-जिल क़दह-१४३९ को २५३५० रु. की क़ीमत है,
इतनी क़ीमत के नक़द रुपये सोना चांदी का माल, ना बेचने का माल, इस्तिमाल में न आती हो या शरई ज़रुरत से ज़ाइद हो ऐसी चीज़ें, मसलन टीवी. शोकेस और उस के बर्तन, ३ जोड़ी से ज़ाइद कपडे, इन में से तमाम या बाज़ चीज़ों को मिलकर क़र्ज़ा हो तो वह अदा कर के इतने पैसे न बचते हो तो उस पर क़ुरबानी वाजिब नहीं,
अगरचे वह बंगले में रहता हो, उस के पास इस इस्तिमाल की फॉर वहील २ वहील गाड़ी हो और बेहतरीन मोबाइल वगैरह इस्तिमाल की चीज़ें हो.
लेकिन फिर भी क़ुरबानी करे तो बड़ा सवाब है, क़ुरबानी के दिनों में इस से बढ़ कर कोई नेकी नहीं.
📕किताबुस मसाइल २/३०० से मुस्तफ़द
*१९-जिल क़दह-१४३९*
*०२ अगस्त २०१८*
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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