*मुअज़्ज़िन केसा हो?*
⭕आज का सवाल नंबर ११६९⭕
मुअज़्ज़िन किसे बनाया जाये?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
अहादीसे शरीफा से साबित है के मुअज़्ज़िन ऐसा शख्स होना चाहिए जो शरीअत का पाबंद तक़वा व तहारत का ऊँचा दर्जा रखता हो.
एक हदीस में वारिद है के हुज़ूर सलल्लाहु अलैहे वसल्लम ने बाज़ अंसारी हज़रात से फ़रमाया के ; अपना मुअज़्ज़िन ऐसे शख्स को मुक़र्रर करना जो तुम में सब से अफ़ज़ल हो;
(सुनने बैहक़ी १/६२६)
क़ैस इब्ने अबी हाज़िम फरमाते है के एक मर्तबा हम अमीरुल मुआमिनीं के पास गए तो आप ने पूछा के तुम्हारे यहाँ मुअज़्ज़िन कौन होते है?
हम ने अर्ज़ किया, अक्सर गुलाम होते है या वह लोग जो कभी गुलाम रह चुके हो, ये सुनकर हज़रात उम्र रदिअल्लहु अन्हु ने अफ़सोस करते हुवे इरशाद फ़रमाया के ये तो तुम्हारे अंदर बड़ा नुक़्स-कमी है, अज़ान तो बड़ी शराफत की चीज़ है, अगर मुझे खिलाफत की मसरूफिययत न होती तो में पंज वक़्त नमाज़ के लिए अज़ान दिया करता.
सुनने बैहक़ी १/६२६
📗किताबुल फतावा १/२३७
मुअज़्ज़िन पढ़ा लिखा, अज़ान उस के अवक़ात के मसाइल का जाननेवाला और बुलंद आवाज़ वाला होना चाहिए, दाढ़ी मूंदे या ज़रूरी मसाइल से न वाक़िफ़ या बुरी आदतवाले को मुअज़्ज़िन बनाना मना है, ऐसे मुअज़्ज़िन को रखनेवाले मुतवल्ली -ट्रस्टी गुनेहगार है
📕फतावा रहीमिययह ४/९० से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
📲💻
http://www.aajkasawal.page.tl
Subscribe Our Channel
Www.youtube.com/bayanatpost*मुअज़्ज़िन केसा हो?*
⭕आज का सवाल नंबर ११६९⭕
मुअज़्ज़िन किसे बनाया जाये?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
अहादीसे शरीफा से साबित है के मुअज़्ज़िन ऐसा शख्स होना चाहिए जो शरीअत का पाबंद तक़वा व तहारत का ऊँचा दर्जा रखता हो.
एक हदीस में वारिद है के हुज़ूर सलल्लाहु अलैहे वसल्लम ने बाज़ अंसारी हज़रात से फ़रमाया के ; अपना मुअज़्ज़िन ऐसे शख्स को मुक़र्रर करना जो तुम में सब से अफ़ज़ल हो;
(सुनने बैहक़ी १/६२६)
क़ैस इब्ने अबी हाज़िम फरमाते है के एक मर्तबा हम अमीरुल मुआमिनीं के पास गए तो आप ने पूछा के तुम्हारे यहाँ मुअज़्ज़िन कौन होते है?
हम ने अर्ज़ किया, अक्सर गुलाम होते है या वह लोग जो कभी गुलाम रह चुके हो, ये सुनकर हज़रात उम्र रदिअल्लहु अन्हु ने अफ़सोस करते हुवे इरशाद फ़रमाया के ये तो तुम्हारे अंदर बड़ा नुक़्स-कमी है, अज़ान तो बड़ी शराफत की चीज़ है, अगर मुझे खिलाफत की मसरूफिययत न होती तो में पंज वक़्त नमाज़ के लिए अज़ान दिया करता.
सुनने बैहक़ी १/६२६
📗किताबुल फतावा १/२३७
मुअज़्ज़िन पढ़ा लिखा, अज़ान उस के अवक़ात के मसाइल का जाननेवाला और बुलंद आवाज़ वाला होना चाहिए, दाढ़ी मूंदे या ज़रूरी मसाइल से न वाक़िफ़ या बुरी आदतवाले को मुअज़्ज़िन बनाना मना है, ऐसे मुअज़्ज़िन को रखनेवाले मुतवल्ली -ट्रस्टी गुनेहगार है
📕फतावा रहीमिययह ४/९० से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
📲💻
http://www.aajkasawal.page.tl
Subscribe Our Channel
Www.youtube.com/bayanatpost
No comments:
Post a Comment