Tuesday, November 21, 2017

हस्तमैथुन/मुश्तजनी की आदत से बचने के तरीके*

*हस्तमैथुन/मुश्तजनी की आदत से बचने के तरीके*

⭕ आज का सवाल नं. ११८६ ⭕

मुश्तजनी से बचने के और इस आदत को छोड़ने के क्या तरीके है..?

🔵 जवाब 🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

मुश्तजनी की असल वजह शहवत का उभार होता है, उसको कँट्रोल करने के लिऐ नीचे दिए गये तरीके अपनाने चहिये।

१. जल्द निकाह करे, अल्लाह तआला ने मर्द औरत के लिये निकाह को शहवत का इलाज बताया है।

२. बद नजरी  - बुरी निगाह डालने से बचे, उसकी आसानी के लिये बंदे के *पीरो मुर्शीद हज़रत अकदस मुफ्ती अहमद खानापूरी साहब दा.ब* का रिसाला *निगाह व शर्मगाह की हिफाजत* पढ़े।

३. फासीकीन (बुरी दोस्त) खास तौर पर ऐसे गुनाह मेँ फँसे हुए लोगो की सोहबत से बचे।

४. तहज्जूद के वक़्त या ईशा के बाद दो रकात नमाज सलातुल हाजत की निय्यत से पढ़कर शहवत पर कंट्रोल होने की रोजाना दुआ अल्लाह से मांगे ।

५. अल्लाह का कसरत से जिक्र करे (चलते फिरते, उठते बैठते जिक्र करे) फिक्र/सोच की गँदगी जिक्र से दूर होती है ।

६. हर महीने १३, १४, १५ इस्लामी तारीख के रोजे रखे, जब इसकी पक्की आदत हो जाये फिरभी शहवत न टूटे तो फ़िर हफ्ते सोमवार, जुमेरात के रोजे रखे। एक बात जहन मेँ रखे पहेले दिन रोजा रखने से शहवत पर कोई असर नहीं पडता, लगातार कई दिन रोजा रखते रहेने से शहवत टूटती है, फ़िर शहरी और इफ्तारी मेँ भी पेट भरकर न खाये वरना मकसद फौत हो जायेगा।

७. बावुजु रहे, हदीस मेँ है वुजू मोमिन का हथियार है। (शैतान और नफ़्स से मुकाबले के लिये)

८. बद नजरी की जगह बाजार, गली, कूंचे, चौराहे पर बैठने से और अखबार और मेग्जीन मेँ औरतो की तस्वीर देखने से बचे वगैरह।

९. फारिग न रहे, अपने आप को कामो मेँ इतना मशगूल कर दे के सर खुजाने की फुरसत ना रहे।
१०. तन्हाई मेँ ना रहे, ऐसी जगह बैठकर पढ़े के लोगो की निगाहें पड़ती हो।

११. बगैर नीँद आये ना लेटे, जब आँख खुल जाये तो फौरन बिस्तर से उठ जाये, खाली पड़े रहेने से शहवत भड़कती है।

१२. बैतुलखला/टॉयलेट मेँ ज्यादा देर ना लगाये, बिना जरूरत खास उजव को हाथ ना लगाये

१३. फहश और नंगा मजाक ना करे, इससे शहवत का दरवाजा खुलता है।

१४. अल्लाह मुझे हर वक़्त देख रहा है इसका इस्तेझार (एहसास) रखे।

१५. कब्रस्तान जाया करे ताकी मौत की याद आती रहे।

📗 हया और पाक दामनी, सफा ३१० से ३३० तक।

و الله اعلم بالصواب

📝 *मुफ्ती इमरान इस्माईल मेमन, हनफी, चीस्ती*

🕌 उस्तादे दारुल ऊलूम, रामपूरा, सूरत, गुजरात, भारत.

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