*💍मंगेतर को अंगूठी पहनाना*
⭕आज का सवाल नंबर १५६२⭕
आज-कल यह रिवाज हो रहा है के लड़का लड़की की मंगनी होती है तो लड़का लड़की एक दूसरे को अपने हाथों से अंगूठी पहनाते हैं, फिर स्टेज पर दोनों को आजु-बाजु में कुरसी पर बिठाया जाता है, तो शरीअत की रौशनी में ऐसा करना कैसा है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
शरीअत में मंगनी एक मुआहदा-आपस का एग्रीमेंट है, इसके होने के बा वजूद दोनों अजनबी और ना महरम ही शुमार होंगे, एक दूसरे को देखने की और हाथ लगाने की बिलकुल इजाज़त नहीं, इसमें चंद खराबियां पायी जाती है।
१⃣।
अंगूठी पहनाने में एक दूसरे को हाथ लगाना लाजिम आता है, जो बड़ी बे हयाई, बे गैरती और हराम है, ये हाथों और आँखों का खुला हुवा ज़िना है।
२⃣।
एक दूसरे के बाजू में बेठेंगे तो लड़के को लड़कियां देखेंगी और लड़की को लड़के देखेंगे, इस तरह का मख़लूत (मिक्स्ड) मेलजोल कई खराबियां और फ़ितने का सबब है।
३⃣।
ब'एज़ जगह लड़के को सोने की अंगूठी पहनाई जाती है, सोने का कोई भी ज़ेवर मर्द के लिए हराम है, सिर्फ चांदी की साढे चार मशा याने ४ ग्राम ३७४ मिलिग्राम की अँगूठी की इजाज़त है, इस से ज़ियादह वज़न की इजाज़त नहीं।
४⃣।
सास ससुर वगैरह के नाराज़ होने की फ़िक्र की जाती है, अल्लाह की नाराज़गी की परवाह नहीं की जाती है, अल्लाह नाराज़ हो गया तो यह रिश्ता होने से पहले ही टूट जायेगा, या होने के बाद भी लडाई झगडे होंगे और बरकते और सुकून ख़त्म हो जाएगा
५⃣।
बा-काईदा लोगों को जमा कर के इस तरह मंगनी करना यह गैर क़ौम का तरीक़ा है हुज़ुर ﷺ ने फ़रमाया है, जिसने जिस क़ौम की मुशाबेहत (कॉपी) इख़्तियार की कल क़यामत के दिन उस का हश्र उसी के साथ होगा।
लिहाज़ा जहां ऐसा तरीक़ा अपनाया जा रहा हो दीनदार लोगों को चाहिए के उसे रोके और करने वालों को समझाए, *लोगों ने नाजाइज़ काम पर रोकना टोकना छोड़ दिया है, इसलिए लोगों ने ग़ैरों के तरीक़ों को बिला जिझक और बिला ख़ौफ़ इख़्तियार करना शुरु कर दिया है।*
अल्लाह हमें इससे बचने और बचाने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन।
📗इस्लामी शादी से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२१ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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