*दिवाली पर मिलने जाना*
⭕आज का सवाल न. १५३८⭕
ज़ैद अपने हिन्दू सर-टीचर को दिवाली के दिन मिलने गया, इस वजह से के सर की तवज्जुह हासिल हो, इम्तिहान में अच्छे नंबर मिले, उन के तेहवार की ताज़ीम की बिलकुल निय्यत नहीं थी, बल्कि ज़ैद हिन्दू के तेहवारों और मज़हबी रसूमात से नफरत करता है. तो किया ज़ैद अपने सर को मिलने जाने की इस सूरत में इस्लाम से निकल गया? निकाह नए सिरे से पढ़ना पड़ेगा?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
ज़ैद को सच्चे दिल से तौबा व इस्तिगफार करना ज़रूरी है. कुफ्फार के मज़हबी रसूमात में शिरकत करना हराम है मगर ज़ैद इस्लाम से नहीं निकला. न निकाह टूटा. कियूं के उस के दिल में दिवाली की ताज़ीम नहीं थी बल्कि वह दिल से इन रसूमात से नफरत करता था.
📗जामियूल फतावा २/३५८
📘बा हवाला फतावा महमूदियाः ९/४०७ से माखूज़.
و الله اعلم بالصواب
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२८ सफर उल मुज़फ्फर १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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