*आज रबीउल अव्वल के आमाल*
⭕आज का सवाल नंबर १५५३⭕
1⃣.
१२ रबीउल अव्वल के क्या अमल है इस दिन क्या करना चाहिए?
2⃣.
इस दिन गम मनाना चाहिए या ख़ुशी?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
1⃣.
इस दिन हुज़ूर صل اللہ علیہ وسلم से जिन की ज़िन्दगी में ६३ बार रबीउल अव्वल आया कोई आमाल मन्क़ूल नहीं, और हुज़ूर ﷺ ने उम्मत को क़यामत तक का पूरा दीन पूरी अमानतदारी के साथ बता दिया, कोई चीज़ नहीं छुपाई, लेकिन १२ रबीउल अव्वल के बारे में कुछ नहीं बताया।उम्मत के फ़ायदा की कोई चीज़ होती तो ज़रूर बताते।
सहाबा रदियल्लाहु अन्हुम भी हुज़ूर ﷺ के बाद १०० साल दुन्या में ज़िंदह रहे, उन से भी कोई अमल मन्क़ूल नही।
शरीअत की दलील ४ चार है।
१।कुरान,
२।हदीस,
३।इज्मा (सहाबा या अक्सर उलमा ए हक़ की राय का मुत्तफ़िक़ हो जाना),
४।कयास (अक़्ली दलील से कोई मसलह क़ुरान हदीस से निकालना जो शरीअत से न टकराता हो)
इस के अलावह बाज़ बुज़रगों का कोई अमल जो उन्होंने गलबह ए हाल- मख़सूस कैफ़ियत जिस में वह शरीअत के मुकल्लफ़ नहीं रेह्ते कोई अमल मन्क़ूल हो, या सऊदी, मक्का,मदीनाः वाले कोई नया अमल शुरूआ करे तो वह जवाज़ की दलील नहीं बन सकता।
2⃣आज के दिन न ख़ुशी मनाये न गम, क्यूँ के १२ रबीउल अव्वल जिस तरह विलादत का दिन है ईसी तरह वफ़ात का भी दिन है, वफ़ात का दिन ख़ुशी से रोकनेवाला है और विलादत का दिन गमी से रोकनेवाला है, अल्लाह अपने बन्दों की नफ़सियात:मिजाज़ से वाक़िफ़ है, उस ने दोनों ईसी दिन करवा कर दोनों बातों से रोक दिया, और जनम दिन की ख़ुशी मनाना भी ग़ैरों का तरीका और वफ़ात के ३ दिन के बाद गम मनाना भी ग़ैरों का तरीकाः और हमें प्यारे नबी صل اللہ علیہ وسلم ने ग़ैरों के तरीका की मुशाबेहत इख़्तियार करने से भी रोक दिया है।
📗हज़रत मौलाना अशरफ अली थानवी رحمت اللّٰہ علیہ के मलफ़ूज़ात से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१२ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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